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यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) मूत्र प्रणाली के किसी भी हिस्से का संक्रमण है, जिसमें किडनी, यूरेटर्स, यूरीनरी ब्लैडर या यूरेथ्रा शामिल हो सकते हैं। इनमें से यूरीनरी ब्लैडर का संक्रमण, यूटीआई का सबसे आम प्रकार है। यूरीनरी ब्लैडर वह हिस्सा है, जहां पेशाब बाहर निकलने से पहले इकट्ठा होता है। यह महिलाओं में विशेष रूप से आम है, जहां यह कहा जाता है कि लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं को उनके जीवनकाल में यह कम से कम एक बार अवश्य होता है।
पायलोनेफ्राईटिस नामक किडनी का संक्रमण दुर्लभ होता है, लेकिन यह बहुत अधिक गंभीर समस्या होती है।
यूटीआई आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है, जो यूरेथ्रा के माध्यम से प्रवेश करता है और यूरीनरी ब्लैडर में पहुँचकर बढ़ना शुरू हो जाता है। यूटीआई का कारण बनने वाला सबसे आम बैक्टीरिया ई कोलाई है, जो पेट में पाया जाता है। यह यूरेथ्रा के एनस के करीब होने के कारण आसानी से संक्रमण प्राप्त कर लेता है। यह विशेष रूप से महिलाओं में होता है।
यूटीआई का मतलब पेशाब में केवल बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गनिस्म) की मौजूदगी मात्र से नहीं है। कई बार एैसे व्यक्ति के पेशाब में भी बैक्टीरिया देखा जा सकता है जिनको की कोई लक्षण नहीं होते है, जोकि यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का संकेत नहीं देता है। जब व्यक्ति पेशाब में माइक्रोऑर्गनिस्म की मौजूदगी के साथ यूरीनरी ट्रैक्ट की सूजन का लक्षण विकसित करता है, तो इसे यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन कहा जाता है।
यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) महिलाओं में सबसे आम बैक्टीरियल संक्रमणों में से एक है। यह लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं को उनके जीवनकाल में कम से कम एक बार अवश्य होता है। यह पुरुषों में ज्यादा आम नहीं है। यह केवल लगभग 8 प्रतिशत पुरुषों में ही विकसित होता है। लगभग 27 प्रतिशत महिलाएं को 6 महीने के भीतर ही दुबारा यूटीआई विकसित होते हुये पाया गया है।
यूटीआई सूक्ष्म जीवों (माइक्रोऑर्गनिस्म) के कारण होता है, जोकि आमतौर पर यूरेथ्रा से प्रवेश करता है, इसके बाद यह यूरीनरी ब्लैडर में बढ़ता है, और कभी-कभी किडनी में भी पहुँच जाता है। शायद ही कभी, यूटीआई खून में संक्रमण से विकसित होता है, जो अक्सर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में देखा जाता है। यूटीआई का कारण बनने वाले सूक्ष्मजीव इस प्रकार हैं-
बैक्टीरिया: यूटीआई के अधिकांश मामले इसी के कारण होते। ई. कोलाई, यूटीआई का कारण बनने वाला सबसे आम बैक्टीरिया है, जोकि सारे मामलों का लगभग 85 प्रतिशत है। यूटीआई का कारण बनने वाले अन्य बैक्टीरिया प्रोटियस, क्लेबसिएला, एंटोरोकोकस फेकैलिस आदि हैं।
कवक (फंगस): यह कम आम कारण है, जोकि सारे मामलों का लगभग 7 प्रतिशत है। हाल के दशकों में, इसके मामलों की संख्या में वृद्धि हुयी है जिसके जोखिम कारक नीचे दिए गए हैं। यूटीआई का कारण बनने वाला सबसे आम कवक कैंडिडा एल्बिकान है, जोकि सारे मामलों का लगभग 50 से 70 प्रतिशत है। यूटीआई का कारण बनने वाले अन्य कवक क्रिप्टोकोकस नियोफॉरमैन, एस्परगिलस प्रजातियां और अन्य हो सकते हैं।
वायरस: यूटीआई शायद ही कभी वायरस के कारण होता है। यदि यह होता भी है, तो अक्सर कम इम्यूनिटी वाले लोगों में होता है, जैसे अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रान्सप्लान्ट) प्राप्त करने वाले लोग में इत्यादि। यह आमतौर पर बीके वायरस, साइटोमेगालोवायरस या एडेनोवायरस के कारण होता है।
ऊपर बताये गये सूक्ष्म जीव आमतौर पर आपके यूरे्थ्रा से सटे हिस्से से आते हैं, जैसे एनस या पेरिनियम। यहां से उन्हें यूरे्थ्रा तक सीधी पहुंच मिलती है, जो कई बार कुछ गतिविधियों जैसे सेक्स या कुछ चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे कैथेटराइजेशन के कारण होती है। इन सूक्ष्मजीवों के एक बार मूत्र प्रणाली के अंदर पहुँच जाने पर, यदि आपके शरीर की रक्षा प्रतिक्रिया इससे मुकाबला नहीं करती है, तो यह बढ़कर संक्रमण पैदा कर सकते है ।
निम्नलिखित जोखिम कारक हैं जो आपको यूटीआई विकसित करने के लिए संवेदनशील कर सकते हैं:
एैसा अनुमान है कि महिलाओं में यूटीआई विकसित होने का खतरा पुरुषों की तुलना में 30 गुना अधिक होता है।
• महिला शरीर रचना विज्ञान (फीमेल एनाटाॅमी): यह छोटे यूरे्थ्रा, तथा इसके वेजाइना और एनस के करीब होने के कारण महिलाओं में बहुत अधिक आम है।
• यौन गतिविधि: अधिक यौन गतिविधि के कारण युवा सेक्स्युली एक्टिव महिलाओं में अधिक आम है।
• विशिष्ट जन्म नियंत्रण विधियां (बर्थ कंट्रोल मेथड): डायाफ्राम या शुक्राणुनाशक एजेंटों के उपयोग के साथ अधिक आम है।
• मिनोपाॅस: मिनोपाॅस के बाद वेजाइनल एस्ट्रोजन के कम स्तर के कारण अक्सर देखा जाता है, जिससे बैक्टीरिया के बढ़ने में आसानी होती है।
• यूरीनरी ट्रैक्ट असामान्यताएं: कुछ लोग यूरीनरी ट्रैक्ट की असामान्यताओं के साथ पैदा होते हैं, जो शरीर से पेशाब बाहर निकलने में असामान्यता पैदा करते हैं, या पेशाब करते समय मूत्र के बहाव के वापस होने का कारण बनते हैं। ये स्थितियां हाइपो/एपिस्पेडियासिस, पोस्टेरियर यूरेथ्रल वाल्व आदि हो सकती हैं।
• माइक्रोब एसेंट को बढ़ावा देने वाले कारक: ब्लैडर कैथेटराइजेशन, यूरीनरी सर्जरी या सिस्टोस्कोपी, पेशाब की असंयमता, मल की असंयमता/ अंदर के कपड़े भीगना जैसी प्रक्रियायें। ब्लैडर कैथेटराइजेशन आमतौर पर उन रोगियों में किया जाता है, जो अस्पताल में भर्ती होते हैं और एक से दूसरी जगह जा नहीं पाते हैं। यह न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के ग्रसित उन लोगों में किया जाता है, जो लोग पेशाब को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, और लकवाग्रस्त होते हैं।
• पेशाब के ठहराव को बढ़ावा देने के कारक: पेशाब का कम या बाधित प्रवाह पथरी, बढ़े हुए प्रोस्टेट, यूरेथ्रा की सख्ती, न्यूरोजेनिक ब्लैडर या तरल पदार्थों के कम सेवन के कारण हो सकते हैं। इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप यूरीनरी ब्लैडर में पेशाब का ठहराव पैदा हो जाता है, जो बैक्टीरिया के विकास को और बढ़ावा देता है।
• अंतर्निहित स्थितियां: जैसे डायबिटीज और अन्य इम्यूनो-सप्रेस्ड स्थितियाँ जैसे एचआईवी, कीमोथेरेपी, तथा गर्भावस्था यूटीआई होने का खतरा बढ़ाती है।
लंबे समय तक अस्पताल में रहना, कैथेटराइजेशन, कम इम्यूनिटी की स्थिति, एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग, प्रोफिलैक्सिस और यूरीनरी ट्रैक्ट सर्जरी जैसे जोखिम कारक फंगल संक्रमण के काफी संवेदनशील होते हैं।
यूटीआई को आमतौर पर लक्षणों और पूर्वानुमान (प्रोग्नोसिस) के आधार पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. लोअर यूटीआई (सिस्टाइटिस), जिसमें ब्लैडर और यूरेथ्रा शामिल हैं।
2. अपर यूटीआई (पाइलोनेफ्राइटिस), जिसमें किडनी शामिल हैं।
लोअर यूटीआई, अपर यूटीआई की तुलना में बहुत अधिक आम है। अपर यूटीआई आमतौर पर तब होता है, जब लोअर यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन ऊपर की ओर जाकर किडनी तक पहुंच जाता है। अधिकांश समय संक्रमण लोअर यूरीनरी ट्रैक्ट तक सीमित रहता है। एैसा कम बार ही होता है कि, संक्रमम ऊपर जाता है और खून के माध्यम से किडनी में फैल जाता है।
• अर्जेन्सी: पेशाब करने की तेज इच्छा, यहां तक कि जब ब्लैडर खाली है।
• फ्रीक्वेंसी: बार-बार कम मात्रा में पेशाब करना।
• नोक्चुरिया: रात के समय कई बार पेशाब जाना।
• जलन: पेशाब करते समय टिंगिंग या जलन महसूस होना।
• ब्लैडर के अधूरे खाली होने की भावना
• पेशाब असंयम
• पेशाब की असामान्य उपस्थिति: मवाद कोशिकाओं के कारण पेशाब बादली रंग का दिखाई दे सकता हैं। पेशाब में कभी-कभी खून भी दिखायी दे सकता है, जो इसे लाल, गुलाबी या कोला रंग का बना सकता है।
• बदबूदार पेशाब
• पेल्विक दबाव या दर्द
• गैर विशिष्ट लक्षण: इसमें दस्त, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, भ्रम और शायद ही कभी बुखार आदि शामिल हैं।
ऊपर चर्चा किए गए सिस्टाइटिस के लक्षणों के अलावा, पाइलोनेफ्रीटिस के साथ निम्न लक्षण हो सकते हैं:
• ठंड के साथ बुखार आना
• फ्लैंक दर्द: पेट या पीठ के एक या दोनो तरफ दर्द होना
• जी मिचलाना या उल्टी होना
यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण निम्नलिखित समस्यायें हो सकती हैं:
• रिकरेन्ट यूटीआई: जहां एक महिला में छह महीने के भीतर यूटीआई के 1 एपिसोड से अधिक या एक वर्ष के भीतर 3 से अधिक एपिसोड होते है।
• यूरेथ्रा में सख्ती: पुरुषों में बार-बार होने वाले यूरेथ्राइटिस के कारण यूरेथ्रा में संकुचन पैदा हो सकती है, जिससे पेशाब करने में बाधा उत्पन्न होती है।
• किडनी को नुकसान: बिना इलाज वाले एक्यूट या क्रोनिक किडनी संक्रमण (पाइलोनेफ्राइटिस) के कारण किडनी को नुकसान हो सकता है।
• समय से पहले जन्म: गर्भवती महिलाओं में यूटीआई समय से पहले बच्चे के जन्म का कारण बन सकती है।
• सेप्सिस: यूटीआई, विशेष रूप से अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में सेप्सिस का कारण बन सकता है। सेप्सिस एक जानलेवा स्थिति है, जहां शरीर संक्रमण के लिए भारी प्रतिक्रिया दिखाता है, जो बदले में शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
1. यूरीन एनालिसिस (मिडस्ट्रीम सैंपल): यह परिक्षण पेशाब में असामान्य मवाद कोशिकाओं, आरबीसी या बैक्टीरिया को उजागर कर सकता है, जो लक्षणों की मौजूदगी में यूटीआई की पहचान का सुझाव देता हैं। अक्सर यूरेथ्रा के पास मौजूद बैक्टीरिया पेशाब के नमूने को दूषित कर सकते हैं, जिसके कारण यूटीआई का फाल्स पाॅसिटिव परिणाम आ सकता है। एक विशेष एंटीसेप्टिक पैड का उपयोग से जननांगों को साफ करके, और पेशाब का मिड स्ट्रीम सैंपल लेकर इससे बचा जा सकता है।
2. यूरीन कल्चर: पेशाब के सैपल को एक विशेष डिस में रखा जाता है, जो बैक्टीरिया को बढ़ने की अनुमति देता है। यह परीक्षण यूटीआई का कारण बनने वाले बैक्टीरिया की पहचान करने में मदद करता है, और यह जानने में कि इस पर कौन सी एंटीबायोटिक प्रभावी होगी।
संकेत: आम तौर पर सभी पुरुषों और महिलाओं में नीचे दिये गये संकेतों के साथ:
• बार-बार होने वाला या बिना इलाज वाला यूटीआई
• संदिग्ध किडनी का संक्रमण (पाइलोनेफ्राइटिस)
• गर्भावस्था
• असामान्य लक्षण
सकारात्मक परिणाम: इसका निदान (डायग्नोस्टिक) तब माना जाता है, जब परिणाम यूरीन कल्चर में 100,000 से अधिक कालोनियों/एमएल दिखाता है।
डॉक्टर आपको निम्नलिखित मामलों में इमेजिंग टेस्ट कराने के लिए कहेंगे:
• यदि आपको यूटीआई बार-बार होता है
• यदि उपचार काम नहीं कर रहा है
• यदि आपको बुखार है
• यदि आप पुरुष हैं
• यदि आपको डायबीटीज है
• यदि डाक्टर सोचते है कि आप एैसे संक्रमण से पीड़ित हैं, जोकि कुछ अंतर्निहित स्थितियों से जुड़ा हुआ है, जैसे कि गुर्दे की पथरी या यूरीनरी ट्रैक्ट की असामान्य संरचना।
1. अल्ट्रासाउंड केयूबी: यूटीआई के लिए किया गया यह पहला इमेजिंग टेस्ट है। यह निम्नलिखित जोखिम कारक दिखा सकता है, जो आपको मूत्र संक्रमण विकसित करने के लिए संवेदनशील बना सकते हैं:
• गुर्दे की पथरी
• पेशाब में बाधा (हाइड्रोनेफ्रोसिस)
• पेशाब का ठहराव
यह ब्लैडर की मोटी दीवारों की मौजूदगी या किडनी में फोड़ा की मौजूदगी का सुझाव देकर पेशाब के संक्रमण का सबूत भी दिखा सकता है।
परीक्षण के लिए तैयारी:
• इस परीक्षण के लिए आपको अपने ब्लैडर को भरा रखने की आवश्यकता होती है, ताकि मूत्र पथ की किसी भी असामान्यता को बेहतर तरीके से देखा जा सके।
• कभी-कभी, परिक्षण पूरा करने के बाद डॉक्टर आपको अपने ब्लैडर को खाली करके, तुरंत वापस आने के लिए कहेंगे। इसके बाद, वह पेशाब के ठहराव को देखने के लिए तुरंत फिर से अल्ट्रासाउंड करेंगे।
2. सीटी पेट या सीटी केयूबी: यूटीआई के जटिल मामलों के लिए सीटी को अल्ट्रासाउंड से बेहतर माना जाता है। अगर इलाज के 3 दिन बाद भी आपका बुखार ठीक नहीं होता है, तो डॉक्टर आपको सीटी करने के लिए सलाह देंगे। वह इसको करने के लिए तब भी आदेश दे सकते है, जब वह हिमैच्युरिया, किडनी के संक्रमण, किडनी की पथरी या बाधा के कारण का मूल्यांकन करना चाहते है।
लाभ:
• अंतर्निहित स्थितियाँ जैसे गुर्दे की पथरी, बाधा या मूत्र पथ की संरचना में किसी भी असामान्यता का बेहतर द्रश्य।
• किडनी के संक्रमण और गुर्दे के आसपास फोड़ा जैसी जटिलताओं की पहचान करने की बेहतर संभावना।
नुकसान:
• यह महंगा है
• विकिरण (रेडियेशन) का उपयोग करता है
• हर जगह उपलब्ध नहीं है
• कोन्ट्रास्ट के उपयोग के कारण शायद ही कभी विपरीत प्रतिक्रिया होती है
3. सिस्टोस्कोपी: यदि आपको यूटीआई बार-बार होता है, तो डॉक्टर सिस्टोस्कोपी कर सकते है। इस परीक्षण में डॉक्टर एक सिस्टोस्कोप पास करेगे जो एक पतली लंबी ट्यूब होती है जिसमें कैमरा लगा होता है। यह परीक्षण डाॅक्टर को सूजन, लालिमा आदि जैसे संक्रमण के लक्षणों की जांच करने और किसी भी संरचनात्मक असामान्यता को नकारने में मदद करता है। यह एैसी अन्य स्थितियों को नकारने मे भी मदद कर सकता है, जो ब्लैडर संक्रमण के रूप में मौजूद होती हैं।
4. यूरोडायनामिक टेस्ट: डॉक्टर आपके मूत्र प्रवाह की जांच करने और पेशाब की किसी भी ठहराव की तलाश करने के लिए यूरोफ्लोमेट्री नामक परीक्षण कर सकते है।
डॉक्टर मुख्य रूप से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करके यूटीआई का इलाज करेंगे। यूटीआई के इलाज के लिए कई एंटीबायोटिक्स उपलब्ध हैं।
शुरूआत में, डॉक्टर आपको संभावित संदिग्ध माइक्रोब, लक्षणों की गंभीरता और संक्रमण के लिए किसी भी संवेदनशील कारकों की उपस्थिति के आधार पर एक एंटीबायोटिक लिखेगें। कुछ दिनों के बाद वह, उपचार के प्रति बीमारी की प्रतिक्रिया तथा यूरीन कल्चर जाँच के परिणाम के आधार पर एंटीबायोटिक कोर्स में परिवर्तन कर सकते हैं।
निम्नलिखित एंटीबायोटिक कोर्स हैं जो आम तौर पर विशिष्ट प्रकार के यूटीआई के लिए दिए जाते हैं:
यूटीआई का प्रकार | रोग का वर्णन | एंटीबायोटिक उपचार |
---|---|---|
गैर जटिल यूटीआई | एक्यूट सिस्टाइटिस • महिलाओं में (गैर-गर्भवती) • प्रीमेनोपॉज़ल महिलाएं • स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे का संक्रमण | • 7 दिनों के लिए या मूत्र स्टेराइल होने के बाद कम से कम 3 दिनों के लिए नाइट्रोफुरेंटोइन लें। पुरुषों के लिए नहीं। • 3 दिनों के लिए ट्राइमेथोप्रिम-सल्फामिथोक्साजोल लें। • 3 से 5 दिनों के लिए ट्राइमेथोप्रिम लें। • फॉस्फोमाइसिन ट्रोमेटानोल 3 ग्राम (1 खुराक) लें। • ओफ्लोक्सासिन या सिप्रोफ्लोक्सासिन 3 दिनों के लिए लें (इसे आमतौर पर टाला जाता है)। |
गैर जटिल पाइलोनेफ्राइटिस | एक्यूट किडनी इंफेक्शन | • 7-10 दिनों के लिए सिप्रोफ्लोक्सासिन या 5 दिनों के लिए लेवोफ्लोक्सासिन लें। • 14 दिनों के लिए ट्राइमेथोप्रिम-सल्फामिथोक्साजोल लें। • 2 दिनों के लिए आईवी सिप्रोफ्लोक्सासिन या लेवोफ्लोक्सासिन, उसके बाद 15 से 20 दिनों के लिए ओरल लें। |
जटिल यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन | यूटीआई • पुरुषों में या • कैथेटर उपयोग से संबंधित | • यदि संभव हो तो पथरी या कैथेटर को हटाने जैसे जटिल कारकों का इलाज करें। • 7 से 14 दिनों के लिए सिप्रोफ्लोक्सासिन या लेवोफ्लोक्सासिन लें। • 7 से 14 दिनों के लिए ट्राइमेथोप्रिम-सल्फामिथोक्साजोल लें। |
जटिल पायलोनेफ्राइटिस या यूरोस्प्सिस | जटिल किडनी का संक्रमण या सेप्सिस, जो यूटीआई के कारण होता है। | • आईवी सेफ्रिक्सोन, सेफ्टाज़िडिम, सेफेपिम, या पिपरसिलिन/टैजोबैक्टम • एर्टेपनेम, मेरोपेनम • कोलिस्टिन; यदि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी 14 दिनों के लिए इलाज |
यूटीआई या गर्भवती महिलाओं में बिना लक्षण वाला बैक्टेरियूरिया | गर्भवती महिलाएं • यूटीआई • बिना लक्षण के साथ मूत्र में बैक्टीरिया | • 5-7 दिनों के लिए निट्रोफुरैनटोइन लें • 3-7 दिनों के लिए अमोक्सीसिलिन/अमोक्सीसिलिन-क्लावुलानेट लें • 3-7 दिनों के लिए सेफ्पोडोक्सिम लें |
सहायक उपचार:
• तरल पदार्थ का सेवन विशेष रूप से पानी का भरपूर सेवन करें। संक्रमण के बाद क्रैनबेरी रस की भूमिका स्थापित नहीं होती है।
• डिहाइड्रेशन, उल्टी या सेप्सिस होने की स्थिति में, डॉक्टर आपको आईवी तरल पदार्थ भी देंगे।
• कैथेटर या पथरी जैसे जटिल कारकों को हटायें, यदि वह मौजूद हैं।
दिन-प्रतिदिन की एैसी कई आदतें हैं, जो आपको यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन विकसित करने से रोकने में मदद कर सकती हैं। ये इस प्रकार हैं:
• बहुत सारा पानी और तरल पदार्थ पियें: प्रति दिन कम से कम 2 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है, जो पेशाब को पतला करने और रोगाणुओं को बाहर निकालने में मदद करता है। यह मूत्र असंयम (यूरीनरी इनकंटीनेंस) वाले व्यक्ति या दिल या किडनी की बीमारी वाले व्यक्ति के लिए लागू नहीं होता है। इन लोगों को अपने डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए। कुछ अध्ययनों से पता चलता है क्रैनबेरी का रस पीने से यूटीआई को रोकने में मदद मिलती है, हालांकि कुछ अन्य अध्ययन इस धारणा को गलत बताते हैं।
• संभोग के बाद: संभोग के तुरंत बाद पेशाब करना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए। यह मूत्र के साथ सूक्ष्मजीवों को बाहर निकालने में मदद करता है।
• जननांगों को सामने से पीछे की ओर पोंछें: पेशाब करने या मल गुजरने के बाद सामने से पीछे की ओर पोंछने से, एनस क्षेत्र में मौजूद रोगाणु यूरेथ्रा में फैलने से रुकते है।
• जननांग स्वच्छता बनाए रखें और इसे सूखा रखें: जननांग के पास की जगह को सूखा रखने के लिए सूती अंडरवियर और ढीले फिटिंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
• जननांग क्षेत्र में उत्पादों का उपयोग करने से बचें: जननांग क्षेत्र में डियोड्रन्ट, पाउडर और डौच जैसे उत्पादों का प्रयोग मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) में परेशानी पैदा कर सकता है, जिससे यह संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील हो सकता है।
• कुछ जन्म नियंत्रण विधियों से बचें: डायाफ्राम, नाॅन-ल्युब्रिकेटेड कंडोम या शुक्राणुनाशक एजेंट का उपयोग करने से बचें।
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