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गुर्दे की पथरी पत्थर जैसी संरचनाएं होती हैं। ये कुछ खनिजों के एक साथ जमा हो जाने के कारण गुर्दे में बनती हैं। ये आमतौर पर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती हैं।
गुर्दे की पथरी निम्न चीजों में भिन्न हो सकते हैंः
संख्या: ये एक या कई हो सकते है।
आकार: ये आकार में कई सेंटीमीटर से लेकर कुछ मिलीमीटर तक हो सकते है।
सतह: चिकनी, खुरदरी या तेज हो सकती है।
गुर्दे की पथरी के कारण आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते है, जब तक कि यह, गुर्दे से यूरीनरी आउटलेट (मूत्रमार्ग) में गुजरते समय, पेशाब के रास्ते में बाधा नहीं डालते हैं।
कई बार पत्थर काफी छोटे होते है, (आकार में कुछ मिलीमीटर) जोकि कोई लक्षण पैदा नहीं करते हैं। या फिर जब यह मूत्रमार्ग से गुजरते है, तो कम से कम लक्षण पैदा करते हैं। यह आकार में काफी बड़े भी हो सकते है, (आकार में सेंटीमीटर से लेकर कई मिलीमीटर तक) जोकि, पेशाब के प्रवाह में पूरी तरह से या आंशिक रूप से बाधा डाल सकते हैं। इससे पीठ में दबाव, दर्द और अन्य लक्षण विकसित हो सकते हैं।
लोइन क्षेत्र में स्थित दर्द, (पीठ के पीछे की एक जगह पर दर्द), रुके हुये पत्थर के कारण होने वाले दर्द का संकेत दे सकता है। यह तब हो सकता है, जब किसी व्यक्ति का किडनी की पथरी का व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास होता है।
कुछ पथरी लंबे समय तक रुकावट पैदा कर सकते हैं, (अक्सर कई साल तक), जिससे ऑब्सट्रक्टिव नेचुरोपैथी नामक स्थिति हो सकती है। इसमें किडनी कम या पूरी तरह से काम करना बंद कर सकती है। यह एक स्थायी स्थिति होती है, जिसका इलाज नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, पत्थर की एक्यूट बाधा का इलाज चिकित्सकीय या शल्य चिकित्सा के माध्यम से किया जा सकता है।
गुर्दे की पथरी काफी आम समस्या है, जो दुनिया में लगभग 12 प्रतिशत लोगों को जीवन के किसी न किसी समय प्रभावित करती है। यह मूत्र मार्ग की सबसे आम बीमारी है, जो सभी उम्र, लिंगों और नस्लों के लोगों को प्रभावित करती है।
इस समस्या का वर्णन 4000 ईसा पूर्व तक पाया गया है, और पिछले कई दशकों में इसमें काफी वृद्धि हुई है।
किडनी की पथरी के मामलों में वृद्धि का जिम्मेदार, आधुनिक समय की जीवन शैली को माना गया है, जैसे
• शारीरिक गतिविधि की कमी,
• खान-पान की आदतों में परिवर्तन जैसे, उच्च सोडियम और माँस से प्राप्त प्रोटीन, तथा पैक भोजन का सेवन करना।
• ग्लोबल वार्मिंग
भारत में लगभग 12 प्रतिशत आबादी को किडनी की पथरी होने की संभावना है, जिनमें से लगभग आधे लोगों में गुर्दे के कामकाज को खोने की उम्मीद है।
भारत के उत्तरी राज्यों में किडनी की पथरी विकसित होने की संभावना अधिक है। यहाँ करीब 15 प्रतिशत लोगों में इसके होने की संभावना अधिक है।
निम्नलिखित राज्यों को भारत में स्टोन बेल्ट का हिस्सा माना जाता है, जहां लोगों को गुर्दे की पथरी विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
व्यक्तिगत इतिहास: गुर्दे की पथरी के इतिहास वाले व्यक्ति को, जीवन में फिर से पथरी विकसित होने की संभावना अधिक होती है। यह अनुमान लगाया गया है कि, यदि कोई व्यक्ति सावधानी नहीं बरतता है, तो उसको दुबारा पथरी होने की संभावना, प्रति वर्ष 10-23 प्रतिशत, 5-10 वर्ष में 50 प्रतिशत और 20 वर्षों में 75 प्रतिशत होती है।
पारिवारिक इतिहास: यदि किसी व्यक्ति के परिवार में किसी भी सदस्य को गुर्दे की पथरी का इतिहास है, तो उसे गुर्दे की पथरी के विकसित होने की संभावना 2 गुना अधिक होती है।
सेक्स: पुरुषों में महिलाओं की तुलना में गुर्दे की पथरी विकसित होने की संभावना लगभग 2 गुना अधिक होती है।
तरल पदार्थों की कमी: पानी की कमी/तरल पदार्थ (प्रतिदिन 1 लीटर से कम) पत्थरी बनने की प्रक्रिया को बढ़ाता है। पानी की कमी, पेशाब को अधिक अम्लीय बनाती है, जो आगे चलकर पत्थरों के गठन का कारण बनता है। जो लोग गर्म क्षेत्रों में रहते हैं, या जिनको पसीना अधिक आता हैं, उन्हें तरल पदार्थ के स्तर में कमी के कारण पत्थर विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
आहार कारक: निम्नलिखित खाध पदार्थ, किसी व्यक्ति में गुर्दे की पथरी विकसित होने का कारण बनते हैं:
– खाद्य पदार्थों में अधिक नमक (सोडियम) जैसे प्रोसेस्ड और पैक भोजन, पेशाब में कैल्शियम के जमने के कारण बनता है।
– अधिक चीनी सामग्री ,जैसा की शीतल पेय में देखा जाता है।
– मीट प्रोटीन जैसे बीफ, चिकन, पोर्क, अंडे, मछली और अन्य। इन खाद्य पदार्थों में सल्फर की मात्रा अधिक होती है, जो मूत्र को अधिक अम्लीय बनाती है औऱ कैल्शियम और ऑक्सलेट का उत्सर्जन बढ़ाती है, जिसके परिणामस्वरूप पत्थर का निर्माण होता है।
– आहार में कैल्शियम की कमी के कारण आंत में ऑक्सलेट की खपत बढ़ जाती है, जो कैल्शियम ऑक्सलेट पत्थरों के गठन के लिए संवेदनशील होता है।
– कैल्शियम और विटामिन डी सप्लिमेंट के सेवन से कैल्शियम स्टोन रोग का खतरा बढ़ा सकता है।
मोटापा: मोटापे से ग्रस्त पुरुषों और महिलाओं (बीएमआई 30kg/m2) में क्रमशः 1.3 बार और 1.6 से 1.8 गुना गुर्दे की पथरी के विकसित होने की संभावना होती है।
कुछ बीमारियां और स्थितियां: बार-बार होने वाला यूटीआई, होर्सू किडनी, रीनल ट्यूबलर एसिडोसिस, सिस्टिनुरिया, डायबिटीज मेलिटस, गाउट, हाइपरपैराथायरायडिज्म, हाइपरकैल्शियूरिया, हाइपरऑक्सालुरिया, क्रोनिक दस्त, आईबीडी, गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी से पथरी विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ दवाएं: पथरी होने की संभावना को बढ़ाती है, जैसे किः
– पेशाब के निर्माण को बढ़ाने के लिए ली जाने वाली मूत्रवर्धक दवाएं, जो आपके शरीर को पानी से छुटकारा दिलाने में मदद करती हैं।
– एंटासिड जो कैल्शियम आधारित हैं।
– दौरे के लिए लिया गया टॉपीमेट।
निम्नलिखित संकेत और लक्षण आपको गुर्दे की पथरी का संकेत दे सकते है:
• दर्द: पीठ के एक तरफ, निचले हिस्से या कमर क्षेत्र में दर्द होता है। दर्द लगातार आता-जाता रहता है जोकि चक्रीय रूप से घटता-बढ़ता रहता है, जिसे रिनल कोलिक दर्द कहा जाता है। दर्द तीव्रता और स्थान में बदलता रहता है, क्योंकि यह पेशाब के माध्यम से चलता है।
• पेशाब में खून (hematuria): खून की मौजूदगी के कारण पेशाब गुलाबी, लाल या भूरे रंग का दिखाई दे सकता है।
• डिसुरिया: पेशाब करते समय असुविधा या दर्द महसूस हो सकती है।
• पेशाब करने के लिए बार-बार जाना। यह डिस्युरिया के साथ हो सकता है, जब पत्थर निचले यूरेटर में पहुंच जाता है।
• पेशाब करने में परेशानी होना या मूत्र की केवल एक छोटी मात्रा निकलना।
• बदबूदार और काले रंग का पेशाब होना।
• संबद्ध लक्षण: दर्द के साथ-साथ जी मिचलाना, उल्टी और कभी-कभी बुखार जैसे लक्षण हो सकते हैं। व्यक्तिगत रूप से, दर्द के बिना, ये लक्षण गुर्दे की पथरी का संकेत नहीं देता है।
उपरोक्त लक्षणों के पाये जाने से, डॉक्टर से तुरंत परामर्श करना चाहिए। ये लक्षण आमतौर पर गुर्दे की पथरी या किसी अन्य महत्वपूर्ण समस्या की ओर इशारा करते हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग, गुर्दे की पथरी की पहचान करने के लिए प्रयोगशाला या इमेजिंग परीक्षण का उपयोग कर सकते हैं।
1. मूत्र परिक्षण:
ये परिक्षण पेशाब में असामान्यता की जांच करते हैं, जो रक्त, संक्रमण या पत्थर बनाने वाले खनिजों की उपस्थिति का संकेत दे सकता है।
• यूरीन रुटीन:
– रक्त कोशिकाएं (आरडीसी) जो पेशाब में खून का संकेत देती हैं।
– बढ़ी हुई मवाद कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी) जो संक्रमण का सुझाव देती है।
– मूत्र का पीएच, जिससे पता चलता है कि मूत्र अम्लीय या क्षारीय (acidic or alkaline) है।
– रंग, जो संक्रमण के कारण गहरा होता है, तथा खून की मौजूदगी में लाल/भूरे रंग का हो सकता है।
• यूरीन कल्चर: संक्रमण की उपस्थिति स्थापित कर सकते हैं।
• 24 घंटे की अवधि का मूत्र परीक्षण: अत्यधिक पत्थर, मूत्र में खनिज बनाने या पत्थर को रोकने के पदार्थों की, कमी की उपस्थिति दिखा सकते हैं। डॉक्टर लगातार दो दिन सैंपल लेने के लिए कह सकते हैं।
2. रक्त परीक्षण: यह कैल्शियम, फास्फोरस या यूरिक एसिड जैसे रक्त में खनिज बनाने वाले पत्थर के उच्च स्तर को दिखा सकता है। यदि सीरम कैल्शियम का स्तर उच्च पाया जाता है तो पैराथायराइड हार्मोन के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। रक्त परीक्षण सीरम क्रिएटिनिन और रक्त यूरिया (किडनी फंक्शन टेस्ट) गुर्दे के स्वास्थ्य को बता सकते हैं।
3. पत्थर विश्लेषण: यह परीक्षण पत्थर के घटक का विश्लेषण करते है जो पत्थर बनने के कारण को निर्धारित करने में मदद करता है। यह आगे उपचार का मार्गदर्शन करने और पत्थर के गठन को रोकने में मदद करता है। यह तब किया जाता है जब, पत्थर मूत्र के माध्यम से बाहर आ जााता है या सर्जरी द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
पत्थर विश्लेषण के बारे में अधिक जानें
4. इमेजिंग परीक्षण;
• एक्स-रे KUB: गुर्दे, मूत्राशय या मूत्राशय के क्षेत्र में किसी भी स्पष्ट पत्थर की उपस्थिति की जांच करने के लिए अक्सर किया जाने वाला मूल परीक्षण है। यह आंतों में गैस के होने से छोटे पत्थरों का पता नहीं लगा सकता है।
• अल्ट्रासाउंड पेट/KUB: अक्सर पत्थर का पता लगाने के लिए तथा उसके कारण उत्पन्न हुयी रुकावट का पता लगाने के लिए किया जाने वाला पहला परिक्षण होता है। यह मूत्राशय में पत्थर का पता लगा सकता है। गुर्दे में यह 5 मिमी या उससे अधिक की पथरी का पता लगा सकता है। यूरेटर में एक महत्वपूर्ण आकार का पत्थर भी अल्ट्रासाउंड द्वारा पता लगाया जा सकता है। पेट की चर्बी या आंतों में ओवरलाइंग गैसों के कारण यह कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। ऐसे मामलों में पत्थर की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है। हालांकि बच्चों और गर्भवती महिलाओं में यह पसंदीदा टेस्ट है।
• सीटी स्कैन: यह पत्थर का पता लगाने या उसके संदेह को दूर करने के लिए किया गया सबसे सटीक परीक्षण है। यदि कोई पत्थर उपस्थित होता है, तो सीटी स्कैन पत्थर के कारण, आकार, स्थान, घनत्व और बाधा को सही ढंग से निर्धारित कर सकता है। इसका नकारात्मक पक्ष केवल यह है कि, यह परिक्षण एक्स-रे की मात्रा का अधिक उपयोग करता है। कई बार किडनी की कार्यप्रणाली की जांच के लिए, व्यक्ति के खून में एक डाई भी इंजेक्ट किया जाता है। इस टेस्ट को सीटी यूरोग्राफी टेस्ट कहा जाता है।
• अन्य: आजकल आईवीपी (नसों में पायेलोनफ्रोग्राफी) कम किया जाता है, या विशेष मामलों में एमआरआई पेट किया जाता है।
गुर्दे की पथरी का उपचार, आकार, स्थान और संबंधित लक्षणों पर निर्भर करता है।
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