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कोरोनरी आर्टरी डीजीज (CAD)/ इस्कीमिक हार्ट डीजीज (IHD) की पहचान निम्म तरीके से की जाती है।
1. बीमारी की जानकारी: डाक्टर आपसे लक्षणों, व्यक्तिगत और पारिवारिक स्वास्थ्य जानकारी के बारे में पूँछेगे, जहाँ पर ध्यान हमेशा खतरों की मौजूदगी पर रहता है।
2. क्लिनिकल परिक्षण: डाक्टर बीपी और हार्ट रेट लेते है, तथा दिल और शरीर का परिक्षण करते है। कुछ अलग लक्षणों और खतरों के दिखने पर या कुछ जाँचे पासिटिव (positive) आने पर, डाक्टर कुछ विशेष जाँचों को करने के लिए कह सकते है। ये जाँचें इस प्रकार हैं:
3. खून की जाँच: ये जाँचे खून में कोलेस्ट्रोल, ट्राईग्लिसराइड्स, एलडीएल, एचडीएल और ग्लुकोज की मात्रा को जानने के लिए जाती हैं। कुछ कार्डिएक मार्कर जैसे सीटीएन (कार्डियक ट्रोपोनिन) और सीके-एमबी (क्रिएटिन किनसे एमबी) किये जाते हैं।
4. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी): यह दिल में विधुतीय गतीविधि का आंकलन करके दिल के बुनियादी कामकाज को समझने में मदद करता है। यह पिछले दिल के दौरे का या हो रहे दिल के दौरे का सबूत दे सकता है।
इमेंजिंग जाँचे:
• इकोकार्डियोग्राफी (ECHO): यह अल्ट्रासाउंड की तरह काम करता है। यह दिल के विभिन्न भागों और उनके कामकाज, जैसे वाल्स, चैंबर्स, वाल्व, और बड़ी नसों को दिखाता है। यह खून के पंप होने को भी दिखाता है, और दिल की खून को पंप करने की क्षमता को भी नाँपता है। यह ये भी दिखाता है कि खून की पम्पिंग में सभी भाग ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। यह दिखाता है कि कोई हिस्सा कम चल रहा है या बिल्कुल नहीं चल रहा है। यह हार्ट अटैक के कारण दिल के नुकसान का या खून के कम बहाव का संकेत भी देता है।
• स्ट्रेस टेस्ट: यह स्ट्रेस के दौरान दिल के काम करने की क्षमता की जाँच करता है। व्यक्ति को स्ट्रेस, ट्रडमिल पर दौड़ने और साईकिल चलाने से दिया जा सकता है। यदि व्यक्ति शारीरिक कामकाज करने के काबिल नहीं होता है तो उसे स्ट्रेस दवाई द्वारा दिया जाता है। स्ट्रेस देने के दौरान या बाद में दिल की क्षमता को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) और इकोकार्डियोग्राफी (ECHO) किया जा सकता है। यह दिल की उन समस्याओं का उजागर कर सकता है जो आराम के दौरान दिखायी नहीं देती हैं। कभी-कभी दवाई के उपयोग से स्ट्रेस देकर एमआरआई (MRI) भी की जा सकती है।
• सीटी एंजियोग्राफी और कैल्शियम स्कोरिंग: दोनों जाँचें कोरोनरी धमनी की इमेज (फोटो) लेने के लिए सीटी मशीन द्वारा छोड़ी गयी एक्स-रे का इस्तेमाल करती हैं। सीटी कैल्शियम स्कोरिंग कोरोनरी धमनी में कैल्शियम की मात्रा का आंकलन करती हैं, जिससे कोरोनरी आर्टरी डीजीज के खतरे का पता चलता है। सीटी एंजियोग्राफी में डाई का इस्तेमाल होता है, जोकि कोरोनरी आर्टरी को भर देती है, जिससे धमनियाँ साफ दिखायी पड़ती हैं। यह सिकुड़न/ रूकावट की मात्रा, रूकावट की जगह और रूकावट के प्रकार को दिखाता है। यह जाँच पारंपरिक कैथेटर एंजियोग्राफी की तुलना में कम जटिल होती है।
• कार्डिएक एमआरआई (MRI): यह जाँच खून के बहाव के साथ दिल तथा कोरोनरी धमनी में किसी भी दिक्कत का अनुमान लगा सकती है। जब दूसरी जाँचे विफल हो जाती हैं, तब यह जाँच कठिन मामलों का पता लगाने में मदद कर सकती है।
• कार्डिएक पीईटी (PET): इस जाँच में शरीर के अंदर एक तरल पदार्थ डाला जाता है, जोकि रेडियेशन छोड़ता है। ये रेडियेशन पीईटी (PET) मशीन द्वारा पकड़े जाते हैं जोकि दिल की इमेज (फोटो) बनाते हैं। यह दिल के विभिन्न भागों में खून के बहाव की कमी को दिखाते हैं, जिससे कोरोनरी आर्टरी डीजीज (CAD) की पहचान होती है। यह दिल के खराब हिस्सो को भी देख सकता है। यह जाँच भी स्ट्रेस या आराम के दौरान की जाती है।
• कन्वेन्सनल (पारंपरिक) कोरोनरी एंजियोग्राफी: यह जाँच कोरोनरी धमनियों, सिकुड़न और रूकावट की मात्रा और रूकावट की जगह को दिखाती है। इस जाँच का दूसरा पहलू यह है कि इसमें एक विशेष प्रकार की नली का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कैथेटर कहते हैं, जिसको शरीर के अंदर डालकर कोरोनरी धमनी तक पहुँचाया जाता है। हाँलांकि, इसका एक विशेष फायदा यह है कि, एन्जियोप्लास्टी और स्टेंटिंग द्वारा कोरोनरी धमनी की सिकुड़न का इलाज इसी प्रक्रिया से किया जा सकता है। यह एक व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली प्रक्रिया है जोकि इमरजेंसी (आपातकाल) के मरीजों या दिल के दोरे के मरीजों में की जाती है।
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