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आमतौर ट्रोमैटिक ब्रेन इंजरीस आपातकालिक होती हैं, जिसमें मरीज को सीधे अस्पताल के आपातकालीन विभाग (इमरजेंसी डिपार्टमेंट) में ले जाया जाता है। आपातकालीन कक्ष (इमरजेंसी रूम) के अंदर चोट की हालत की जानकारी ली जाती है। बाद में ग्लास्गो कोमा स्केल (GCS) का इस्तेमाल करके शारीरिक और न्युरोलोजिकल परिक्षण से दिमाग की चोट की गंभीरता का पता लगाया जाता है।
ग्लास्गो कोमा स्केल (GCS) न्युरोलोजिकल परिक्षण के दौरान तीन चीजों का आंकलन करके स्कोरिंग देता है:
1. आँख खोलना: अचानक आँख खोलने पर 4, आवाज के लिए आँख खोलने पर 3, दर्द के कारण आँख खोलने पर 2 और बिना किसी लक्षण में 1
2. मौखिक प्रतिक्रिया: सामान्य बातचीत के लिए 5, उन्मुख बातचीत के लिए 4, शब्दों के लिए 3- बिना किसी जुड़ाव के, आवाज निकालनें की क्षमता के साथ शब्दों के बोलने की क्षमता कमी के लिए 2 और बिना किसी लक्षण में 1
3. मोटर प्रतिक्रिया: सामान्य के लिए 6, स्थानीय दर्द के लिए 5, दर्द के कम होने में 4, डीकोर्टिकेट पोश्चर के लिए 3, और डीसेरीब्रेट पोश्चर के लिए 2
ग्लास्गो कोमा स्केल (GCS) के अनुसार ट्रोमैटिक ब्रेन इंजरी (TBI) को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जाता है:
• कम: जब ग्लास्गो कोमा स्केल (GCS) 13 से 15 के बीच होता है।
• मध्यम: जब ग्लास्गो कोमा स्केल (GCS) 8 से 12 के बीच होता है।
• गंभीर: जब ग्लास्गो कोमा स्केल (GCS) 8 से नीचे होता है।
इमेजिंग टेस्ट नीचे दी गई चीजों का पता लगाने में मदद करते हैं।
• सिर के चोट की हालत का पता लगाने के लिए।
• चोट की गंभीरता और निष्कर्ष का पता लगाने के लिए।
• बीमारी की हाल का पता लगाने और उसका इलाज निश्चित करने के लिए।
ट्रोमैटिक ब्रेन इंजरी (TBI) के मामलों में निम्नलिखित इमेजिंग जाँचे की जाती है।
• कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन: ट्रोमैटिक ब्रेन इंजरी (TBI) के सभी मरीजों में की जाने वाली यह एक मुख्य जाँच होती है। यह जाँच एक्स-रे के इस्तेमाल से दिमाग और हड्डियों की इमेज बनाती है, और नील (कन्ट्युसन), नकसीर (हिमोरेज), हिमेटोमा (hematoma), सूजन और खोपड़ी के फ्रैक्चर का पता लगाती है। यह डिफ्यूज एक्सोनल इंजरी (diffuse axonal injury) के सभी मामलों का पता शायद न लगा पाये, जिसका पता सिर्फ MRI में पता चलता हैं।
• मैग्नेटिक रेसोनेन्स इमेजिंग (MRI): यह जाँच उन मामलों में की जा सकती है, जहाँ पर कुछ और अधिक सूचना की आवश्यकता पड़ती है, या फिर रोग के लक्षण सीटी (CT) के परिणाम से मेल नहीं खाते हैं। मैग्नेटिक रेसोनेन्स इमेजिंग (MRI) छोटी से छोटी परेशानी का पता लगा सकता है, जोकि सीटी (CT) द्वारा पता नहीं चल पाती हैं। यह जाँच सीटी (CT) में न दिखने वाले डिफ्यूज एक्सोनल इंजरी (DAI) का पता लगा सकती है, और उन मामलों में सीटी (CT) के परिणाम मेल नहीं खाते है।
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