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गैस का मतलब साधारण शब्दों में पाचन तंत्र (पेट तथा आँतों) में हवा के भर जाने से होता है।
पाचन तंत्र में गैस का बनना तथा इकट्ठा होना दो मुख्य कारणों से होता है।
• पाचन तंत्र मे बाहरी हवा के अंदर जाने से: यह खाने, पीने और धूम्रपान से होता है। वह गैसें जो पेट के अंदर जाती है मुख्यत: आक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाई-आक्साईड होती हैं।
• आँतों में मौजूद किटाणुओं से उत्पन्न होने वाली गैस: यह बड़ी आँत में खाने के पचने की प्रक्रिया के दौरान होता है। इससे कुछ लोगों के पेट में हाईड्रोजन और मीथेन गैस बन जाती है। अन्य और गैसें जो थोड़ी मात्रा में उपस्थित होती है, जैसे कि हाईड्रोजन सल्फाइड जो गुदा (एनस) द्वारा बाहर निकलते समय दुर्गन्ध देती है, जिसे हवा पास करना कहते हैं।
गैस का बनना तथा इकट्ठा होना हम सभी लोगों में होता है। लोग गैस को या तो मुँह से डकार द्वारा या फिर गुदा (एनस) द्वारा बाहर निकालते हैं। इसको आमतौर पर सामान्य माना जाता है, जोकि खाना खाने और पचाने की प्रक्रिया कै दौरान होता है, परन्तु जब गैस बढ़ जाती है और उसके साथ कोई लक्षण दिखायी देने लगते है तब यह असामान्य माना जाता है। एक सामान्य व्यक्ति में प्रतिदिन लगभग 0.5 से 1.5 लीटर तक गैस बनती है जोकि हवा के पास करने के द्वारा 13 से 21 बार बाहर निकलती है।
खाने के पहले या बाद में जव भी कभी डकार आती है तो उसे सामान्य माना जाता है। बहुत सारे लोग जो अत्यधिक गैस के बनने की शिकायत करते है वह एक सामान्य व्यक्ति के बराबर गैस उत्पन्न करते हैं. यह लोग पेट में मौजूद गैस की सामान्य मात्रा के बारे में ज्यादा सजग होते है। बहुत कम लोगो में किसी प्रकार के खानपान व अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के एवज में अत्यधिक गैस बनती है।
गैस के अत्यधिक बनने और इकट्ठा होने से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के लक्षण निम्नलिखित हैं।
अत्यधिक डकार आना: कार्बन से युक्त पेय पदार्थो के सेवन से उत्पन्न हवा से डकार/ उबकाई आती है। खाने और पीने के दौरान हम सभी के अंदर थोड़ी हवा जाती है। खाने के दौरान कभी-कभी आने वाली डकार को साधारण माना जाता है। ज्यादा डकार प्राय: खान-पान के साथ जाने वाली के हवा के निगलने से होती है। वह लोग जो खाने, पीने और धूम्रपान के साथ ज्यादा हवा निगलते है, उन लोगों में डकार की समस्या ज्यादा दिखायी पड़ती है।
हवा पास करना: भिन्न- भिन्न लोगों गैस के पास करने की क्षमता और निरंतरता अलग-अलग होती है। शोधों से यह पता चला है कि, एक दिन 13 से 21 बार या फिर 25 बार तक भी गैस को पास करना सामान्य माना गया है। पास की गयी गैस की मात्रा 0.5 से 1.5 लीटर तक हो सकती है। सोने के समय गैस ज्यादा पास होती है।
पेट फूलना: पेट फूलना एक ऐसी समस्या है, जो कि खाने के दौरान या बाद में पेट में खिंचाव तथा उसके भरने का अहसास कराती है। इससे पेट फूलकर फैल सकता है।
पेट में दर्द और असहजता को महसूस करना: यह तब होता है जब गैस आँतों मे ठीक तरह से नहीं घूमती है। ऐसा पाया गया है कि पेट में अधिकांश गैस स्व्स्थ्य लोगों मे इन लक्षणों की उत्पत्ति का कारण नही है, और यह माना जाता है कि यह अतिसंवेदनशील आँतों से जुड़ा है।
यदि कोई व्यक्ति गैस के लक्षणों साथ- साथ निम्न लक्षणों को महसूस करे, तो यह कुछ गंभीर स्थिति की ओर संकेत करता है। यह लक्षण इस प्रकार है।
• मल में खून का आना
• वजन कम होना
• सीने में जलन या दर्द महसूस करना
• मल त्याग की प्रक्रिया में बदलाव
• डायरिया का बढ़ना
• पेट मे दर्द
• उल्टी और जी मिचलाना
अत्यधिक गैस का निगलना: यह निम्नलिखत कारणों से हो सकता है-
• व्यक्तिगत कारक: कुछ लोग खाने या पीने कै दौरान ज्यादा हवा निगलते है। यह उन लोगों में ज्यादा होता है जो जल्दी- जल्दी खाते और पीते हैं।
• कार्बन और गैस से युक्त पेय पदार्थ
• धूम्रपान
• च्यूइंग गम
• हार्ड कैंडी को तेजी से चूसना
• चिंता और तनाव से ग्रसित कुछ लोग ज्यादा हवा निगलते है। कुछ लोग तनाव के दौरान डकार लेने की कोशिश करते हैं।
• ज्यादा लार भी अधिक गैस निगलने का कारण होती है, जोकि जी.ई.आर.डी (GERD), उल्टे-सीधे दाँत, दवाईयों के दुष्प्रभाव और जी मिचलाने से होती है।
खान-पान के कारक:
खान-पान में कार्बोहाईड्रेट की अधिक मात्रा जो पेट या छोटी आँत द्वारा पूरी तरह से पचायी नहीं जा सकती है, पेट में गैसों के बनने का प्रमुख कारण होती हैं। यह कार्बोहाईड्रेट जब बड़ी आँत में पहुँचते है, तब जीवांणु उन्हें तोड़कर गैस को आँतों में छोड़ देते हैं। निम्न प्रकार के कार्बोहाईड्रेट जो पूर्ण रूप से पचते नहीं है।
• शर्करा (सुगर): जैसे कि फ्रुक्टोज, रैफीनोज और सोर्वीटोल जो मिठाईयों और फलों में पाया जाता है।
• स्टार्च: जैसे कि मक्का, गेंहू और आलू।
• फाइबर्स: घुलने वाले फाइबर्स फलों, मेंवों (सूखे फल जैसे बदाम, अखरोट) और सूखी सेम (बींस) में पाये जाते हैं। वह फाइबर्स जो घुलते नही हैं वह गेंहू की भूसी और जड़ वाली सब्जी (गाजर, मूली) इत्यादि में पाये जाते हैं.
इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर फंक्शनल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर- International Foundation for Functional Gastrointestinal Disorders (IFFGD) ने यह पाया है कि, वह खाद्य पदार्थ जिसके कारण अत्यधिक गैस या हवा बनती है, जरूरी नहीं है कि इसका प्रभाव दूसरे व्यक्तियो पर एक जैसा हो।
• फल जैसे सेब, आडू और नाशपाती या फलों से निकला जूस।
• दूध या उससे बनी चीजें जैसे पनीर, आईसक्रीम और दही।
• रैफीनोज से भरपूर खाद्य पदार्थ: कुछ खाद्य पदार्थों में पायी जाने वाली शर्करा जिसे मनुष्य पचाने में असमर्थ होता है उसे रैफीनोज कहते है। आँतों में उपस्थित जीवाणु खूब सारी गैस पैदा करके इसे ताड़ने की कोशिश करते हैं। रैफीनोज अनाज, सेम (बींस), अंकुरित दालों, ब्रोक्कोली, पत्ता गोभी और अस्परगस (शाग) में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
• सल्फर से भरपूर खाने और पीने के पदार्थ: सल्फर से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने से बारबार दुर्गन्ध वाली हवा पास हो सकती है। यह प्याज, लहसुन, गोभी और ब्रोक्कोली में अधिक पाया जाता है। वाइन और बीयर जैसे पेय पदार्थों में सल्फर अधिक मात्रा में पायी जाती है, जोकि समान प्रभाव डाल सकती है।
• शुगर अल्कोहल से युक्त खाद्य पदार्थ: शुगर अल्कोहल का उपयोग आमतौर पर शुगर फ्री खाद्य पदार्थों में मीठापन लाने के लिए किया जाता है। यह पूर्ण रूप से पच नहीं पाता है जिस कारण गैस बन जाती है।
चिकित्सा संबंधी स्थिति
• छोटी आँत में बदलना या अत्यधिक बढ़ना: छोटी आँत में सामान्य रूप से जीवाणु उपस्थित रहते है, जिन्हें फ्लोरा कहा जाता है जोकि खाने को पचाने में मदद करते है। जब छोटी आँत में उपस्थित जीवाणु में कोई बदलाव आता है, या फिर वह अधिक बढ़ जाते है तब यह अत्यधिक गैस, डायरिया तथा कम वजन का कारक बन जाता है।
• इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम: इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम आँत में गैस के घूमने को प्रभावित करता है, और आँत में उपस्थित गैस की साधारण मात्रा के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
• गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डीजीज: इसके परिणाम स्वरूप पेट में उपस्थित पदार्थ खाने की नली में वापस आ जाते हैं। यह लोग बेचैनी को दूर करने के लिए खूब डकारे मार सकते हैं।
• लैक्टोज को न सहन कर पाना: वह लोग जो लैक्टोज को सहन और हजम नहीं कर पाते हैं। दूध या उससे बने पदार्थों के सेवन से उन लोगों में अत्यधिक गैस, सूजन और डायरिया बन जाता है।
• फ्रक्टोज को न सहन कर पाना: वह लोग जो फ्रक्टोज को सहन नही कर पाते हैं, उनमें फलों और शहद में पायी जाने वाली शर्करा, जिसे फ्रक्टोज कहते है, इसके सेवन से अत्यधिक गैस, सूजन और डायरिया बन जाती है।
• सेलिएक डीजीज: सेलिएक डीजीज से प्रभावित लोग ग्लुटेन नाम के प्रोटीन को हजम नहीं कर पाते है जोकि गेंहू, जौं और राई आदि अनाजों तथा कुछ साज-सज्जा के सामानों जैसे लिप बाम में पाया जाता है। ग्लुटेन से युक्त पदार्थों के सेवन से इनमें अत्यधिक गैस, सूजन और डायरिया के लक्षण बन जाते है।
• वह चिकत्सकीय स्थितियाँ जो आँतों में गैस के आने जाने को प्रभावित करती है जैसे कि:
• कब्ज
• पेट में दो विपरीत कोशिकाओं का आपस में जुड़ जाने से
• आँत में हर्निया से
• डंपिंग सिंड्रोम
• आँतड़ियों में रुकावट से
बहुत से लोग जिनको गैस या सूजन की समस्या होती है, उन्हें किसी भी जाँच की आवश्यकता नही होती है, इसका पता मरीज की जाँच औऱ उसकी पुरानी जाँचों के परिणाम के आधार पर लगाया जाता है। हाँलांकि जब मरीज में डायरिया, पेट दर्द, वजन घटना, मल में खून का आना, एनेमिया, बुखार, जी मिचलाना औऱ उल्टी जैसे लक्षण दिखायी देते है, तो ये खतरनाक संकेत अत्यधिक गंभीर स्थिति के कारण हो सकते हैं, जिसमे और परिक्षणों की आवश्यकता पड़ती है जिनका वर्णन बाद में दिया गया है।
चिकित्सा से सम्बन्धित पुरानी जानकारीयाँ
चिकित्सा से सम्बन्धित पुरानी जानकारी के लिए चिकित्सक आपसे कुछ चीजों के बारे में पूँछेगा जैसे
• आपके लक्षण
• आपकी खानपान की आदतें
• दवाईयों के पर्चे और बिना पर्ची की दवाईयाँ जो आप ले रहे हैं
• मौजूदा और पुरानी स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी
आपके डाॅक्टर आपसे खानपान की डायरी को बनाने के लिए कह सकते है, और जब आपको गैस के लक्षण दिखायी देतै है, तब आपकी डायरी से आपको किस खाने से गैस बनती है, इसका पता चल सकता है। आपकी डायरी को देखने से आपके डाॅक्टर को यह पता लगाने में मदद मिल सकती है, कि आप को अधिक गैस या सामान्य गैस से कितनी संवेदनशीलता होती है।
शारीरिक परिक्षण
शारीरिक परिक्षण के दौरान चिकित्सक
• पेट मे सूजन को जाँच सकता है
• स्टेथोस्कोप से आपके पेट के अंदर की आवाज को सुन सकता है
• आपके पेट को थपथपाकर दर्द या नरमी को जाँच सकता है
जाँचें जो हो सकती हैं:
1. खून, वसा (फैट) तथा परजीवी जैसे जियार्डिया के लिए मल की जाँच
2. हाइड्रोजन सांस परिक्षण: यह लैक्टोज की असहनशीलता को जाँचने के लिए किया जाता है। यहाँ पर व्यक्ति को लैक्टोज पीने के लिए दिया जाता है जिससे की उसके द्वारा छोड़ी गयी हवा में हाइड्रोजन की मात्रा की गणना उसके लक्षणों में बदलाव के साथ-साथ की जा सके। हाइड्रोजन की अत्यधिक मात्रा में उपस्थिति और लक्षणों के बिगड़ने से लैक्टोज की असहनशीलता का पता चलता है।
3. पेट का एक्स-रे: छोटी आँत में असामान्य फैलाव को देखने के लिए।
4. एन्डोस्कोपी या कोलोनोस्कोपी: यह पेट के अंदर या बड़ी आँत में असामान्यता को देखने के लिए की जाती है। इसमें एन्डोस्कोप का प्रयोग होता है, जोकि एक छोटी नली होती है जिस पर कैमरा और उपकरण लगे होते हैं। चिकित्सक कोशिकाओं के नमूने भी प्रयोगशाला की जाँच के लिए ले सकता है, जिससे की बीमारी का पता चल सके जैसे सेलिएक रोग।
5. खून की जाँचें: तीन (3) एन्टीबाडीज को देखने के लिए जो सेलिएक रोग में पायी जाती हैं:
• एंटी-टिशू ट्रांसग्लूटामिनेज़ (टीटीजी) एंटीबॉडी
• एंडोमिसियल एंटीबॉडी (ईएमए)
• डैमिडेटेड ग्लियाडिन पेप्टाइड (DGP) एंटीबॉडीज
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