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दस्त एक ऐसी स्थिति है, जहां आप दिन में तीन या उससे अधिक बार पतले या पानी जैसे मल को पास करते हैं।
दस्त कुछ कारणों के आधार पर कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों या उससे भी अधिक समय तक रह सकते हैं। ये कारण, रोग के संभावित कोर्स और आवश्यक उपचार को निर्धारित करते है।
इस तरह, संभावित कारण और प्रबंधन की आवश्यकता के आधार पर इन्हे 3 वर्गों में बाँटा गया है:
अक्यूट दस्त: ये सबसे आम प्रकार के दस्त होते हैं, जो ज्यादातर 1 से 2 दिनों तक के लिए रहते है। इसमें किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, और ये अपने आप ठीक हो जाते है। ये दस्त आमतौर पर वायरल संक्रमण के कारण होते हैं।
लगातार होने वाले दस्त: ये दस्त 2 सप्ताह से अधिक, लेकिन 4 सप्ताह से कम समय तक रहते है।
क्रोनिक दस्त: ये दस्त 4 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहते हैं। ये मुख्यतः मैलअबशार्बप्सन, इरिटेबल बाॅवल डीजीज या इन्फ्लामेट्री बाॅवल सिंड्रोम के कारण होते है। इन स्थितियों में आगे की जटिलताओं को रोकने के लिए, उचित जाँच और उपचार की आवश्यकता होती है।
यदि आप दस्त से पीड़ित है, तो आपको दिन में 3 या उससे अधिक बार पतले या पानीदार मल आयेंगे।
आपको अन्य लक्षण भी हो सकते है, जो इस प्रकार हैं:
• बार-बार मल आना और मल पे नियंत्रण न रख पाना
• जी मिचलाना
• पेट में दर्द होना
• पेट में ऐंठन होना
• पेट फूलना
यदि दस्त, संक्रमण के कारण होते है, तो इसके अन्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
• ठंड के साथ बुखार आना
• उल्टी होना
• मल में खून आना
एक वयस्क में निम्नलिखित लक्षणों के दिखने से, चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है:
• यदि दस्त के कई एपिसोड होते हैं, जोकि एक दिन में 6 या उससे अधिक हो सकते हैं।
• यदि मल के साथ खून आता है, या मल काले रंग का होता है। यदि दस्त के साथ म्युकस (एक प्रकार का सफेद बलगम जो मल में पाया जाता है) आता हैं।
• यदि दस्त के दौरान पेट या मलाशय में गंभीर दर्द होता हैं।
• यदि दस्त के साथ हाई ग्रेड बुखार (102 F से अधिक) होता हैं।
• यदि दस्त के साथ लगातार उल्टी होती हैं।
• यदि दस्त डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) के लक्षणों से जुड़े होते हैं।
• यदि दस्त दो दिनों से अधिक समय तक होते रहते हैं।
बच्चों में दस्त के कारण पानी की कमी हो जाती हैं। पानी की कमी यदि एक दिन से अधिक समय तक रहती है, तो डाॅक्टर से जल्दी परामर्श लेना चाहिए।
दस्त के कारण दो मुख्य जटिलतायें उत्पन्न हो सकती हैंः
• इससे बड़ी आंत की, पानी को हजम करने की क्षमता में कमी आ जाती है। इसके कारण पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का नुकसान होता है, जो बदले में पानी की कमी (डिहाईड्रेशन) का कारण बनता है। ये सारी समस्यायें तब होती है, जब दस्त कई बार या गंभीर रूप से होते हैं।
• आंतों द्वारा पोषक तत्वों को हजम न कर पाने से मैलअबशार्पशन हो सकता है। यह खासकर तब होता है जब दस्त लंबी अवधि तक बने रहते है।
संकेत और लक्षण
वयस्कों में | शिशुओं और बच्चों में |
---|---|
काले रंग का मूत्र आना, थोड़ा या न के बराबर मूत्र पास करना | कम पेशाब आना, 3 या उससे अधिक घंटों में डायपर गीला न होना |
मुंह और त्वचा का सूखना | मुंह और जीभ का सूखना |
अत्यधिक प्यास लगना | बच्चों का आंसू या प्यास के बिना रोना |
थकान, कमजोरी या चक्कर आना | चिड़चिड़ापन, नींद आना या किसी बात का उत्तर न देना |
धंसी हुई आंखें या गाल | धंसी हुई आंखें, गाल या सिर के ऊपर पर नरम स्थान होना |
त्वचा की खिंचाव में कमी होना | त्वचा की खिंचाव में कमी होना |
मैल अबशार्पशन के निम्नलिखित लक्षण होते हैंः
• पतला, चिपचिपा और बदबूदार मल आना
• पेट फूलना
• गैस बनना
• भूख में परिवर्तन होना
• वजन का घटना
• वजन का कम बढ़ना (शिशुओं या बच्चों में)
दस्त कई कारणों से हो सकते है। ये संक्रमण, भोजन, दवा से एलर्जी या पुरानी बीमारियों के कारण हो सकते हैं।
तीव्र (अक्यूट) दस्त ज्यादातर संक्रमण के कारण होते है। लम्बे समय तक चलने वाले दस्त ज्यादातर पुराने रोग या अन्य स्थितियों के कारण होते हैं।
आम कारण इस प्रकार हैं:
1. संक्रमण
आमतौर पर दूषित भोजन या पेय के सेवन के साथ निम्नलिखित संक्रामक देखे जाते है:
• वायरस: यह तीव्र (अक्यूट) दस्त के सामान्य कारणों में से एक है। नोरोवायरस वयस्कों और बच्चों दोनों को प्रभावित करने वाले सबसे आम कारणों (सभी मामलों में से 1/5) में से एक है। इससे विकासशील देशों में हर साल 200,000 से अधिक मौतें हो जाती हैं। इससे पहले रोटा वायरस दस्त का सबसे आम कारण माना जाता था, जिसे बच्चों को दिए गए रोटावायरस टीकों द्वारा काफी नियंत्रित किया जा चुका है।
• बैक्टीरिया: यह विशेष रूप से विकासशील देशों में तीव्र (अक्यूट) दस्त का आम कारण होता हैं। ये दस्त साल्मोनेला, शिगेला, ई कोलाई और कैम्पिलोबैक्टर नामक बैक्टीरिया के कारण होते हैं।
• परजीवी: ये जीव दूषित भोजन और पानी के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करते हैं, और पोषण प्राप्त करने के लिए आपके पेट का उपयोग करते हैं। ये परजीवी इंटैमीबा हिस्टोलिटिका, जिआर्डिया लैम्बलिया आदि होते हैं।
2. यात्रियों के दस्त (ट्रैवलर्श डायरिया)
ये दस्त उन लोगों में विकसित होते हैं, जिनका यात्रा का किसी तरह का कोई इतिहास होता है। यह ऊपर बताए गए रोगजनकों (पैथोजेन) के साथ दूषित भोजन और पानी के सेवन के कारण होते है। यह यात्रा के कारण होने वाला सबसे आम रोग है।
3. दवाओं के साइड इफेक्ट
ऐसी कई दवाएं भी होती हैं, जो दस्त का कारण बन सकती हैं। ये दवाये एंटीबायोटिक्स, मैग्नीशियम और कीमोथेरेपी की दवायें आदि होती हैं।
1. विशेष तरह के खाद्य पदार्थों से एलर्जी तथा असहनशीलता
• खाद्य एलर्जी: ये दूध, दानेदार अनाज, अंडे, और समुद्री भोजन से होते हैं।
• असहनशीलता: लैक्टोज (दूध चीनी) असहनशीलता, फ्रक्टोज (फल चीनी) असहनशीलता, या शुगर एल्कोहल से असहनशीलता (आमतौर पर चीनी मुक्त सामान में मौजूद होते हैं)।
2. पाचन तंत्र की समस्याएं
यह पुरानी (क्रोनिक) दस्त के सबसे आम कारण में से एक हैं, जोकि हाल के दिनों में काफी बढ़ गया है। इसमें, आपके पेट में पहले से मौजूद किसी स्थिति के कारण क्रोनिक दस्त होते हैं।
• क्रोन डीजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे इन्फ्लामेट्री आँत के रोग
• छोटी आंतों के बैक्टीरियल ओवरग्रोथ
3. संक्रमण
यदि पेट के संक्रमण का इलाज न किया जाये, तो यह लंबे समय तक दस्त का कारण बना रहता है। कुछ लोगों में संक्रमण के परिणामस्वरूप दूध या उससे बने उत्पादों, कुछ खाद्य पदार्थों में मौजूद लैक्टोज या प्रोटीन को पचाने में भी समस्या हो सकती है, जोकि बदले में पुरानी (क्रोनिक) दस्त को जन्म देती है।
4. दवाओं का लम्बे समय तक उपयोग
लंबे समय तक दवाओं का सेवन, पेट के अन्दरुनी कामकाज को बदल देता है। इस कारण से भोजन पूरी तरह से पच नहीं पाता है, जिससे क्रोनिक दस्त बन जाते है। यह संक्रमण के लिए भी संवेदनशील हो सकते है, उदाहरण के लिए: एंटीबायोटिक दवायें।
5. पेट की सर्जरी
यदि आपकी पेट की सर्जरी हो रखी है, तो आपको क्रोनिक दस्त विकसित होने की प्रवृत्ति होती है। इसमें बड़ी आंत, परिशिष्ट (एपेन्डिक्स), पित्ताशय की थैली (गाॅल ब्लैडर), यकृत (लिवर), अग्न्याशय (पैन्क्रियाज), छोटी आंत और पेट की सर्जरी शामिल हो सकती है।
डॉक्टर आपके चिकित्सा इतिहास तथा आपके द्वारा ली जाने वाली दवाओं के बारे में पूँछकर, इसकी समीक्षा करते हैं। वह शारीरिक परिक्षण करके, दस्त के कारण की जांच करने के लिए परिक्षण का आदेश देंगे। इन परिक्षणों में शामिल हैं:
यह परिक्षण, खून, वसा (फैट), बैक्टीरिया या परजीवी की मौजूदगी का पता लगाता है। स्टूल (मल) का नमूना एकत्र करने के लिए आपको एक कंटेनर दिया जाएगा, जिसका मूल्यांकन आगे प्रयोगशाला में होगा।
आपके डॉक्टर आपको कुछ बीमारियों या स्थितियों की जांच करने के लिए रक्त परिक्षण की सलाह दे सकते है, जो दस्त का कारण बन सकते हैं।
यह परिक्षण आपकी सांसों में मौजूद हाइड्रोजन की मात्रा को मापकर, लैक्टोज असहनशीलता की जांच करता है। यह लैक्टोज असहनशीलता में हाइड्रोजन असामान्य रूप से बढ़ जाती है। इसके लिए आपको लैक्टोज युक्त लिक्विड पीने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद आप एक गुब्बारे की तरह के कंटेनर में सांस लेंगे, जो सांस में हाइड्रोजन की मात्रा को मापेगें।
यह परिक्षण खाद्य असहनशीलता (फूड इंटोलिरेन्स) तथा एलर्जी से होने वाले दस्त का पता लगाता है। इसके लिए डॉक्टर आफकों लैक्टोज, कार्बोहाइड्रेट, गेहूं युक्त खाद्य पदार्थ लेने से मना कर सकते हैं।
यह परिक्षण आपके आंतों के अंदर देखने के लिए किया जाता हैं। इस परिक्षण में सूक्ष्म मूल्यांकन (माइक्रोस्कोपिक इवैलुएशन) के लिए ऊतक का नमूना लिया जाता है। इसके लिए एंडोस्कोप नामक कैमरा लगा हुआ एक विशेष ट्यूब आपके मुंह या गुदा के माध्यम से आपकी आंत में डाला जाता है।
एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं में शामिल हैंः
• फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी
• कोलोनोस्कोपी
• अपर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) एंडोस्कोपी
तीव्र (अक्यूट) दस्त का उपचार
ये निम्नलिखित होते हैं:
• रिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाये रखना)
• उपयुक्त आहार लेना
• पूरक (सप्लिमेंट): प्रोबायोटिक और जिंक लेना
• एंटी-डायरियल दवाएं लेना
• एंटीबायोटिक्स लेना: प्रयोगसिद्ध (इम्पीरिक) या विशिष्ट
इनमें से, रिहाइड्रेशन और उचित आहार को तीव्र (अक्यूट) दस्त के लिए मुख्य उपचार माना जाता है। और यदि इनका असर नहीं होता है, तो दुसरे अन्य विकल्पों के बारे में सोंचा जाता है।
आपका शरीर 70 प्रतिशत पानी से बना होता है, और दस्त शरीर से पानी को कम कर देता है। इसलिए खोए हुए तरल पदार्थों और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। इसे खूब सारा पानी और अन्य तरल पदार्थ, जैसे नारियल पानी, पतला रस, शोरबा या सूप पीने से किया जा सकता है। पानी के अलावा नारियल पानी और फलों का जूस पीने से पोटेशियम की भरपाई में मदद मिलती है। जबकि सोडियम की भरपाई के लिए सूप काफी मददगार होता है। आप खोए हुए तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) का भी उपयोग कर सकते हैं।
आप ओआरएस को, 1 लीटर पानी, 6 चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक मिलाकर घर पर भी बना सकते हैं।
यदि आपको गंभीर दस्त या उल्टी है, तो आपके खून में IV लाइन के माध्यम से तरल पदार्थ दिया जाता है।
बच्चों के लिए, आवश्यक मात्रा में पानी और लवण प्राप्त करने के लिए ओआरएस लेने की सलाह दी जाती है।
किन आहार का प्रयोग करें
कम फाइबर आहार, मल को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।
आप केले, चावल (सफेद चावल), सेब का साॅस, और टोस्ट (BRAT) जैसे आहार का उपयोग कर सकते हैं। खिचड़ी (दालों के साथ पकाया चावल) का उपयोग भी अच्छा होता है, और कई लोगों में यह लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। अन्य खाए जा सकने वाले पदार्थ दलिया, उबले आलू और सूप/शोरबा होते हैं।
किन आहार का प्रयोग न करें
• सलाद या कच्ची सब्जियों जैसे फाइबर से भरपूर आहार को लेने से बचें।
• दूध और दुग्ध उत्पादों को लेने से बचें।
• तला हुआ, फैटी, या मसालेदार खाद्य सामग्री खाने से बचें।
• आम, अनानास, नारंगी, सेब जैसे फलों के सेवन से बचें।
• बहुत ज्यादा नमक या मसाले के उपयोग से बचें।
• सेब का रस, गेटोरेड और शीतल पेय जैसे पेय पदार्थों से बचें।
प्रोबायोटिक सप्लीमेंट दस्त की गंभीरता और अवधि (ड्युरेशन) को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह विशेष रूप से बच्चों में उपयोगी पाया जाता है जहां यह दस्त की गंभीरता और अवधि को 1 दिन तक कम कर सकता है।
ये आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजक बनाने और आंतों की सतह पर मौजूद बाध्यकारी साइटों को कवर करते हुये काम करते हैं।
जिंक की खुराक
यह बच्चों में दस्त के इलाज और रोकथाम में कारगर पाए जाते हैं। आपके डॉक्टर 2 महीने से अधिक उम्र के बच्चे के लिए प्रति दिन 20 मिलीग्राम जिंक लेने की सलाह दे सकते है। इसको निर्जलीकरण के जोखिम को और अवधि तथा गंभीरता को 20 से 40 प्रतिशत तक कम करने के लिए देखा गया है।
यह एंटी-सिक्रेटरी या एंटी-मोटिलिटी एजेंट होते हैं, जो मल के बार-बार आने और बीमारी की अवधि को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपको दस्त के साथ खून या तेज बुखार आता है, तो इसे लेने से बचना चाहिए, क्योंकि ये आंतों के संक्रमण को खराब कर सकते हैं।
आप लोपेरामाइड गोलियां मौखिक रूप से ले सकते हैं: शुरूआत में 4 मिलीग्राम ले सकते हैं, तथा प्रत्येक पतले मल के बाद 2 मिलीग्राम ले सकते हैं। यदि यह बिना किसी सलाह के ली जाती है, तो पूरे दिन 8 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिये। और यदि आपके डाॅक्टर द्वारा बतायी जाती है, तो 16 मिलीग्राम एक दिन में होनी चाहिये।
चूंकि अक्यूट दस्त ज्यादातर आत्म-सीमित होता है, और अक्सर वायरस के कारण होता है। इसलिए हर किसी में एंटीबायोटिक दवाओ के नियमित उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है। इसके अलावा, एंटीबायोटिक के बिना समझदारी के उपयोग से, प्रतिरोध का विकास, उपयोगी आंत बैक्टीरिया को नुकसान या बीमारी का अधिक समय तक बना रहना हो सकता है।
इम्पीरिक एंटीबायोटिक थेरेपी
यदि कारक माइक्रोब का पता नहीं होता है और आपको दस्त से जुड़ी निम्नलिखित विशेषताएं है, तो यह आमतौर पर दिया जायेगा:
• खूनी दस्त, बुखार, पेट दर्द या पेचिश
• गंभीर दस्त
आपके डॉक्टर आपको एक मौखिक फ्लोरोक्विनोलोन लिख सकते है, जैसे सिप्रोफ्लोक्सेसिन जोकि हर 12 घंटे में 500 मिलीग्राम 5 से 7 दिन के लिए ली जा सकती है।
माइक्रोब का पता चलने के बाद, डॉक्टर द्वारा विशेष एंटीबायोटिक थेरेपी निर्धारित की जाती है। इसमें सेफ्ट्रिएक्सोन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, एजिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स दिए जा सकते हैं।
दवा के कारण होने वाले दस्त का उपचार
अगर आपके दस्त एंटीबायोटिक के लेने के कारण होते, तो आपके डॉक्टर दवा की डोज कम कर देंगे या दवाई बदल देंगे।
पुरानी दस्त का उपचार:
इसका उपचार अंतर्निहित (अंडरलाइंग) कारण के अनुसार होता है। इसमें दस्त को पतते, फैटी या इंन्फ्लामेट्री वर्गों में बाँटा जाता है। इसके बाद दस्त के कारण को जानने के लिए आगे के परीक्षण किए जाते हैं, जिसका विशेष रूप से इलाज किया जाता है।
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