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इस बिमारी का इलाज, इसके कारकों, किडनी की बीमारी की अवस्था, तथा उससे जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर निर्भर करता है। कुछ कारक है, जिनकों इलाज करके बदला जा सकता है, जैसे उन दवाईयों का उपयोग जिनसे कि किडनी की कार्यप्रणाली पर असर होता है, पेशाब की नली में रूकावट या किडनी में खून के दौड़ान कम होना। इन समस्याओं के इलाज से क्रोनिक किडनी डिजीज को और अधिक बिगड़ने से रोका जा सकता है।
शोध से पता चला है कि, क्रोनिक किडनी डिजीज का इलाज तब और अधिक अच्छा होता है जब, नेफ्रोलोजिस्ट की सलाह ली जाये जो किडनी की बीमारीयों का विशेषज्ञ होता है। इलाज की रुपरेखा का सही तरीके से पालन किडनी को और अधिक क्षति पहुँचने से रोकने, तथा उसके लम्बे समय तक कार्य करनें में सहायक होता है। किडनी की बीमारी का पता जितना जल्दी होता है, उतनी जल्दी किडनी को आगे होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है, और उससे जुड़ी बीमारीयों जैसे दिल की बीमारी, एनेमिया और घात (स्ट्रोक) आदि को रोका जा सकता है।
क्रोनिक किडनी डिजीज के रोगियो को लिए इलाज की निम्नलिखित रूपरेखा अपनायी जाती है:
क्रोनिक किडनी डिजीज को बढ़ने से रोकने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण कदम है वह है रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) को नियंत्रण में रखना। ज्यादातर लोगों के लिए ब्लड प्रेशर का लक्ष्य 130/80 mm Hg होता है। बीमरी तथा जुड़े हुये तथ्यों के आधार पर विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग लक्ष्य हो सकते है, जिसका निर्णय विशेषज्ञ करता है।
उचित ब्लड प्रेशर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाये जा सकते हैंः
• ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए लिखी दवाईयों का सेवन करना। किडनी की बीमारी से प्रभावित लोगों में एन्जियोटेनसिन- कनवर्टिंग एनजाइम (ACE) इनहिबिटर्स या एन्जियोटेनसिन- रिसेप्टर ब्लोकर्स (ARBs) दिये जाते है, जो किडनी को नुकसान से बचाते हैं।
• स्वस्थ्य खानपान का सेवन करना और खाने में नमक कम लेना।
• धूम्रपान न करना।
• शारीरिक रूप से सक्रिय होना और व्यायाम करना। यदि वजन ज्यादा है तो उसको कम करने फायदा होता है।
• पूरी नींद लेना।
• नियमित तौर पर ब्लड सुगर पर निगरानी रखना: परिणामों के बारें में चिकित्सक से सलाह लें और आगे की रणनीति पर नियमित रूप से बात करें. चिकित्सक 3 महीनों के ब्लड ग्लुकोज को जानने के लिए HbA1C की जाँच करेगा। HbA1C का अधिक परिणाम 3 महीनों के दौरान शरीर में अधिक ग्लुकोज को दर्शाता है। डायबिटीज से प्रभावित ज्यादातर लोगों में HbA1C का लक्ष्य 7 प्रतिशत से कम होता है। मरीजों को अपने मनचाहे लक्ष्य के लिए चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये।
• खानपान के लिए डाक्टर या डायटीसियन की दी गयी सलाह के माने।
• दवाईयों और इन्सुलिन के लिए डाक्टर की दी गयी सलाह के माने।
जैसे कि किडनी की बीमारी समय के साथ-साथ गम्भीर होती जाती है, नियमित जाँचों और किडनी की कार्यप्रणाली पर निगरानी की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, जिससे की इलाज की स्थिति का पता चल सके और आगे होने वाले नुकसान को टाला जा सके। जो जाँचे किडनी की बीमारी का पता लगाने और उसके वर्गीकरण के लिए इस्तेमाल की जाती है, उन्हीं जाँचों का इस्तेमाल बाद में किडनी की कार्यप्रणाली पर नजर रखने तथा उसको होने वाले नुकसान का आँकलन करने के लिए की जाती है।
किसी भी इलाज की रूपरेखा का लक्ष्य है:
• जीएफआर (GFR) को सामान्य बनाये रखना
• यूरीन अल्ब्युमिन को सामान्य या कम बनाये रखना
चिकित्सक ब्लड प्रेशर की भी जाँच करेगे यह देखने कि लिए की वह नियंत्रण में है या नही।
डायबिटीज की अवस्था में, HbA1C level की जाँच ब्लड ग्लुकोज की मात्रा को जानने के लिए की जाती है।
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