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यह टेस्ट आपके खून में ग्लूकोज लेवल की जांच करने के लिए किया जाता है। इस परिक्षण से आपके ब्लड ग्लूकोज के कम तथा ज्यादा स्तर का पता चलता है।
इस परिक्षण से व्यक्ति की डायबिटीज या प्रीडायबिटीज स्थिति का पता चलता है।
यह परीक्षण आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है:
• जब किसी व्यक्ति की आयु 45 वर्ष से अधिक होती है, या उसे डायबिटीज के विकास का जोखिम होता है।
• जब आपको डायबिटीज होती है।
• जब आपके लक्षम उच्च या निम्न ब्लड ग्लुकोज के स्तर का सुझाव देते हैं।
• जब आप गर्भवती होती हैं।
• खून का नमूना आमतौर से आपकी बाँह की नस से लिया जाता है, खासकर आपकी कोहनी के मोड़ की जगह से।
• यदि आप डायबिटीज पीड़ित है, तो आपको नमूने के रूप में खून की छोटी सी बूंद की आवश्यकता हो सकती है। खून की छोटी बूँद को, लैंसेट द्वारा आपकी उंगली के शिरे को चुभाने से प्राप्त किया जाता है। खून की इस छोटी मात्रा को, ग्लूकोज मॉनिटर के सेंसर पर लगया जाता है। आपको अपने ग्लूकोज के स्तर को ठीक से ट्रैक करने के लिए दिन में 3 से 4 बार ऐसा करने की आवश्यकता हो सकती है।
• इसका एक विकल्प एक निरंतर ग्लूकोज मॉनिटर का उपयोग करना है, जहां आपकी त्वचा के नीचे एक सेंसर डाला जाता है, जो नियमित अंतराल पर आपके ब्लड ग्लुकोज के स्तर को मापता है।
• फास्टिंग सैंपल: इस सैंपल के लिए, डॉक्टर या लैब तकनीशियन आपको कम से कम 8 घंटे तक कुछ न खाने और पीने की सलाह देते हैं। इस दौरान आप केवल पानी पी सकते हैं।
• फास्टिंग और पोस्टप्रांडयल सैंपल: यदि आपको डायबिटीज है, तो आपके डॉक्टर आपको दो नमूने देने की सलाह देते है, जोकि खाने से पहले और बाद को होता है। इन नमूनों को क्रमशः फास्टिंग और पोस्टप्रांडयल ब्लड ग्लूकोज नमूना कहा जाता है।
• फास्टिंग और टाइम्ड सैंपल: ग्लूकोज टाॅलिरेंस टेस्ट जैसे विशेष परीक्षणों में, आपके डॉक्टर आपको पहले फास्टिंग सैंपल देने के लिए कहते हैं। इसके बाद ग्लूकोज युक्त पेय पीने के बाद कई सैंपल देने के लिए कहेंगे।
• रैंडम सैंपल: इसमें आपके डॉक्टर खून का नमूना लेते है, भले ही आपने भोजन कर लिया हो।
परिक्षण का उद्देश्य आपके खून में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को मापना है।
ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। कोशिकाओं को ठीक से काम करने के लिए खून में ग्लूकोज की लगातार आपूर्ति (सप्लाई) बनाए रखने की आवश्यकता होती है। खून में ग्लूकोज के स्तर में असामान्यताएं, विभिन्न जटिलताओं और गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
जब कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन पेट में पचता है, तो यह ग्लूकोज जारी करता है, जिसे शरीर की कोशिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने के लिए खून के बहाव में अवशोषित (अबसोर्ब) कर लिया जाता है।
इंसुलिन एक हार्मोन है, जो अग्न्याशय (पैंक्रियाज) द्वारा जारी किया जाता है, तथा शरीर की कोशिकाओं द्वारा ब्लड ग्लूकोज के उपयोग में केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह एक कुंजी के रूप में कार्य करता है, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है। इंसुलिन की कम मात्रा या इसके नहीं होने से, ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं द्वारा उपयोग नहीं किया जाता है, जो बदले में खून में उच्च स्तर के ग्लूकोज का कारण बनता है।
डायबिटीज में इंसुलिन की कमी या इंसुलिन की प्रतिरोधक क्षमता के कारण, शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। इससे खून में अतिरिक्त ग्लूकोज प्रसारित होता है, जिससे धुंधली दृष्टि या अंधापन, हृदय रोग और गुर्दे या तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को नुकसान जैसी स्थितियां हो सकती हैं।
दूसरी ओर, जब खून में ग्लूकोज का स्तर गिरता है, तो अग्न्याशय (पैंक्रियाज) ग्लूकागन नामक हार्मोन को उत्पादन करता है। ग्लूकागन लिवर में जमा हुये ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदलकर और खून में इसके स्तर को बनाए रखने का कारण बनता है। जब कामकाज प्रभावित होता है, तो यह खून में ग्लूकोज की गिरावट का कारण बनता है, जिससे मस्तिष्क या तंत्रिका (नर्व) क्षति या यहां तक कि जानलेवा स्थिति भी हो सकती है।
इसलिए, खून में ग्लूकोज के सामान्य या असामान्य स्तर को मापने से, डॉक्टर स्थिति का पता लगाने और प्रबंधित करने और आगे की जटिलताओं को रोकने में सक्षम होते हैं।
ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर आम तौर पर डायबिटीज के कारण होता हैं, लेकिन यह अन्य स्थितियों और बीमारियों के कारण भी हो सकता है।
ब्लड ग्लूकोज परिक्षण के परिणाम उनकी व्याख्या के साथ नीचे दिए गए हैं:
यदि किसी व्यक्ति में डायबिटीज के लक्षण हैं, और उसका रैंडम (नाॅन-फास्टिंग) ग्लूकोज लेवल 200mg/dL या उससे ऊपर है, तो इससे पता चलता है कि व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है ।
ब्लड ग्लुकोज का स्तर | व्याख्या |
---|---|
200 mg/dL से कम | सामान्य रैंडम ग्लूकोज स्तर |
200 mg/dL या उससे ऊपर | डायबिटीज |
ब्लड ग्लुकोज का स्तर | व्याख्या |
---|---|
70 से 99 mg/dL तक | सामान्य फास्टिंग ग्लूकोज |
126 mg/dL या उससे ऊपर | डायबिटीज |
100 से 125 mg/dL तक | प्रीडायबिटीज (फास्टिंग ग्लूकोज बिगड़ा हुआ है) |
गर्भावस्था के दौरान को छोड़कर ब्लड ग्लुकोज का स्तर लागू होता है। 75 ग्राम ग्लूकोज युक्त तरल पीने के 2 घंटे बाद रक्त का नमूना लिया जाता है।
ब्लड ग्लुकोज का स्तर | व्याख्या |
---|---|
140 mg/dL से कम | सामान्य ग्लूकोज टालिरेन्स |
200 mg/dL या उससे ऊपर | डायबिटीज |
140 से 199 mg/dL तक | प्रीडायबिटीज (ग्लूकोज टालिरेन्स-बिगड़ा हुआ) |
इसमें कुल तीन रक्त नमूने दिए जाते हैं, एक भोजन से पहले और बाकी दो 75 ग्राम ग्लूकोज पीने के 1 और 2 घंटे के बाद। जब कोई भी मूल्य सामान्य सीमा से अधिक हो जाता है, तो वह जेस्टेशनल डायबिटीज के रूप में डोयग्नोस हो जाता है।
नमूना संग्रह समय | व्याख्या |
---|---|
फास्टिंग | 92 mg/dL या उससे ऊपर |
1 घंटा | 180 mg/dL या उससे ऊपर |
2 घंटे | 153 mg/dL या उससे ऊपर |
पहला चरण: इसमें 50 ग्राम ग्लूकोज पीने के 1 घंटे के बाद खून का केवल एक नमूना दिया जाता है।
ब्लड ग्लुकोज का स्तर | व्याख्या |
---|---|
140 mg/dL से कम | सामान्य स्क्रीन |
140 mg/dL और ओवर | असामान्य, OGTT के बाद (दो नीचे संदर्भित) |
दूसरा चरण: डायग्नोस्टिक OGTT, जहां खून के कुल चार नमूने लिए जाते हैं। पहला नमूना उपवास (फास्टिंग) करते समय लिया जाता है, और अन्य तीन 100 ग्राम ग्लूकोज पीने के बाद के 1, 2, और 3 घंटे के बाद लिये जाते हैं। यदि कोई दो या अधिक मूल्य सामान्य स्तर से अधिक होते है, तो जेस्टेशनल डायबिटीज का निदान (पहचान) होता है।
नमूना संग्रह करने का समय | लक्ष्य स्तर |
---|---|
उपवास (ग्लूकोज लेने से पहले) | 95 mg/dL |
ग्लूकोज लेने के 1 घंटे बाद | 180 mg/dL |
ग्लूकोज लेने के 2 घंटे बाद | 155 mg/dL |
ग्लूकोज लेने के 3 घंटे बाद | 140 mg/dL |
नोट: कुछ प्रयोगशालाएं सामान्य और असामान्य सीमाओं के लिए विभिन्न मूल्यों का उपयोग कर सकती हैं।
• क्रोनिक किडनी डीजीज
• हाइपरथायरायडिज्म
• कुशिंग सिंड्रोम
• एक्रोमेगली
• अग्नाशय (पैंक्रियाज) का कैंसर
• अग्नाशयशोथ (पैंक्रिटाइटिस)
• भोजन का अत्यधिक सेवन
• तीव्र तनाव (दिल का दौरा, स्ट्रोक और आघात के लिए प्रतिक्रिया)
खून में ग्लूकोज का कम स्तर, आम तौर पर हाइपोग्लाइसीमिया का सुझाव देता है। यह शुरूआत में तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) के लक्षण जैसे पसीना, भूख, घबराहट, चिंता और कांपना आदि देखे जा सकते हैं। यदि यह जारी रहता है, तो यह अंततः भ्रम, धुंधली दृष्टि, मतिभ्रम, कोमा और यहां तक कि मौत का कारण बन सकता है।
निम्नलिखित स्थितियां कम ब्लड ग्लुकोज का कारण बन सकती हैं:
• हाइपोथायरायडिज्म
• क्रोनिक किडनी फेलियर
• हाइपोपिटेरिज्म
• गंभीर लिवर की बीमारी
• गंभीर दिल की विफलता
• गंभीर संक्रमण
• इंसुलिन ओवरडोज
• भुखमरी
• इंसुलिन पैदा करने वाले ट्यूमर
• एड्रिनल अपर्याप्तता
• ग्लूकोज कम करने वाले उत्पादों का उपयोग
• अत्यधिक शराब पीना
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