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जब किसी व्यक्ति को खांसने के दौरान बलगम के साथ खून आता है, तो उसे हिमोप्टिसिस कहा जाता है।
आम तौर पर, फेफड़ों में खून का बहाव (95 प्रतिशत) कम दबाव वाली धमनियों (आर्टरी) के माध्यम से होता है, जोकि फेफड़े की कैपिलरी बेड में पहुंचकर गैसों का आदान-प्रदान करता है। बाकी बचे 5 प्रतिशत खून का बहाव उच्च दबाव वाली धमनियों (आर्टरी) के माध्यम से होता है, जो महाधमनी (एओर्टा) से होकर वायुमार्ग और सहायक संरचनाओं तक पहुँचता है।
हिमोप्टिसिस के मामले में, खून का निकलना, आम तौर पर इसी बहाव की प्रक्रिया के कारण होता है। इसके अलावा, यह समस्या तब भी हो सकती है, जब फेफड़े की धमनियां किसी आघात के कारण चोटिल हो जाती हैं, या ग्रैनुलोमेटस या कैल्शियमयुक्त लिम्फ नोड या ट्यूमर फूट जाते है। यह समस्या फेफड़े की धमनी में कैथेटराइजेशन से भी हो सकती, या फिर जब फेफड़े के कैपिलरी में सूजन आ जाती हैं।
• संक्रमण: बैक्टीरियल, वायरस या टीबी
• सीओपीडी
• आघात
• फेफड़ों का कैंसर
• फेफड़ों का फोड़ा
• निमोनिया
• गुडपाश्चर सिंड्रोम
• ल्यूपस
• पल्मोनरी हीमोसाइडोसिस
• ब्रोंकिक्टैसिस
• एक्यूट/क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
• धमनी (आर्टरी) की खराब बनावट
• पल्मोनरी एम्बोलिज्म
• हाई पल्मोनरी वीनस प्रेशर
• नशीली दवाओं का उपयोग
• शरीर में कोई बाहरी चीज
• धूम्रपान
• ऊपरी वायुमार्ग आघात
• गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग
• खून की हल्की खांसी: रक्त की कुछ बूंदें, या रक्त के निशान।
• मध्यम: 24 घंटे के अंदर <600 मिलीलीटर खून निकलना।
• बड़े पैमाने पर: 24 घंटे के भीतर <600 मिलीलीटर खून निकलना।
• अतिगंभीर हेमोप्टिसिस
• पीठ दर्द
• पल्मोनरी आर्टरी कैथेटर या ट्रेकियोस्टमी की उपस्थिति
• अस्वस्थता, वजन घटना, या थकान
• धूम्रपान लम्बा इतिहास
• परिक्षण के दौरान आराम करने पर डिस्पनिया या साँस लेने की आवाज में कमीं या अनुपस्थित
• थूक परिक्षण: इसमें मरीज को सुबह के वक्त, कंटेनर में, खांस करके थूक इकट्ठा करने के लिए कहा जाता है। मरीज को बलगम में ढीलापन लाने के लिए खूब सारा पानी और तरल पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है। इस जाँच के लिए, कम से कम 2 मिलीलीटर थूक की आवश्यकता होती है।
• लंग फंक्सन परिक्षण– इसमें स्पाइरोमीटर उपकरणों का उपयोग फेफड़े के कामकाज का आकलन करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग फेफड़े की साँस लेने और उसको रोक कर रखने की क्षमता को, जानने के लिए किया जाता है। (हवा का कम मात्रा में अंदर आना – प्रतिबंधात्मक प्रकार; हवा का कम मात्रा में बाहर जाना- फेफड़ों की बीमारी का प्रतिरोधी प्रकार)। यह चल रहे इलाज के आँकलन, और बीमारी की गंभीरता को ग्रेडिंग करने में भी सहायक है।
• पीक फ्लो मॉनिटर की मदद से हम, फेफड़ों द्वारा बाहर निकाली गयी हवा की गति की माप करते हैं। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस में वायुमार्ग के साथ बलगम का इंन्फ्लामेंट्री बदलाव और हाइपरसिक्रेसन होता हैं। इसलिए यह फेफड़ों द्वारा बाहर निकाली गयी हवा की गति को कम कर देता है।
• छाती का रेडियोग्राफ– छाती का एक्स-रे, हमें फेफड़ों के परेंकाईमा, जटिलताओं, फेफड़े के संक्रमण या दिल की विफलता के लक्षणों को दिखाता है।
• छाती का सीटी स्कैन – यह परिक्षण फेफड़ों के परेंकाईमा, जैसे एयर ट्रैपिंग, एम्फिसिमा, ब्रोंकिक्तासिस में परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यह मांसपेशियों, अन्य अंगों, हड्डियों और फैट की बेहतर तस्वीर भी देता है।
• पल्स ऑक्सीमेट्री और आर्टेरियल ब्लड गैस – ये जाँचें खून में ऑक्सीजन की मात्रा को मापने के लिए की जाती है।
• कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी)
• ब्रोंकोस्कोपी
• फेफड़ों में खून के बहाव का आकलन करने के लिए या खून निकलने की जगह को देखने के लिए पल्मोनरी एंजियोग्राफी की जाती है।
• फेफड़ों में खून के बहाव और हवा के बहाव का मूल्यांकन करने के लिए, फेफड़ों का वीक्यू स्कैन किया जाता है।
• कारण का इलाज करें: संक्रमण/टीबी के लिए एंटीबायोटिक्स का, फेफड़ों के कैंसर के लिए कीमोथेरेपी/विकिरण का, और सूजन के लिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें।
• ब्रोंकियल आर्टरी एम्बोलाइजेशन: तपेदिक (टीबी) जैसे गंभीर मामलों में ब्रोंकियल आर्टरी से खून के रिसाव को रोकने के लिए, आघात या किसी अन्य कारणों से आर्टरी को नुकसान से बचाने के लिए की जानी चाहिये।
• ब्रोंकोस्कोपी: खून के बहाव को रोकने के लिए वायुमार्ग के अंदर गुब्बारा डालें।
• सर्जरी: जहां फेफड़ों का हिस्सा या पूरा फेफड़ा निकाल देने के लिए न्युमोनेक्टमी की जाती है की जानी चाहिये।
• धूम्रपान छोड़ें: सिगरेट और बीड़ी पीना छोड़ें, और निष्क्रिय धूम्रपान करने से बचें।
• धूम्रपान छोड़ना: सिगरेट धूम्रपान को छोड़े और निष्क्रिय धूम्रपान करने से बचें।
• एक मास्क (N95 श्वसन यंत्र) पहनेंः प्रदूषण, धूल, आग के धुएं जैसी पर्यावरणीय उत्तेजनाओं से बचने के लिए N95 मास्क का प्रयोग करें। यह मास्क सैलून और निर्माण संबंधित पेशेवरों द्वारा पहना जाना चाहिये, क्योंकि इन लोगों सीओपीडी के विकसित होने का खतरा काफी अधिक होता हैं।
• टीके: इंफ्लूएंजा और वायरस को रोकने के लिए वार्षिक फ्लू के टीके तथा कुछ प्रकार के निमोनिया को रोकने के लिए वैक्सीन लेने चाहिये।
• अच्छी नींद क्रोनिक ब्रोंकाइटिस की वजह से होने वाली थकान में राहत पहुँचाती है, और चोटिल ऊतकों की मरम्मत में मदद करती है। तकिए के मदद से सिर को उठाकर सोने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि यह सांस लेने की प्रक्रिया और बलगम समाशोधन में मदद करता है ।
• गले और मुंह का सूखना, सिरदर्द, चक्कर, तथा भ्रम, आदि पानी की कमी से होने वाली समस्यायों से बचने के लिए, खूब सारा पानी पियें। यह नाक के श्लेकोल स्राव को ढीला करने में भी मदद करता है, और बलगम की चिपचिपाहट को कम करता है।
• ठंडी शीतोष्ण हवा में लक्षण बिगड़ जाते हैं, इसलिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग, हवा को गर्म आर्द्र रखता है, जो बलगम को ढीला करके उसको बाहर निकालने में मदद करता है।
• संतुलित स्वस्थ आहार, पोषण और आहार की खुराक लेना, तेजी से स्वस्थ होने में मदद करता है और संक्रमण को रोकता है।
• सरसों का तेल में, लहसुन डालकर उन्हे भूरे रंग को होने तकपकाएं, इसके बाद उसे ठंडा होने दें। इस तेल से छाती पर मालिश करें। इससे सीने में भारीपन में कुछ हद तक राहत मिलती है।
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