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डॉक्टर लक्षण विवरण और शारीरिक परिक्षण के परिणामों के आधार पर एपेन्डिसाइटिस का संदेह करेंगे।
डॉक्टर दर्द और संभावित कारण की चिन्हित करने के लिए कई सवाल पूछेंगे।
• दर्द कब और कैसे शुरू हुआ और कैसे आगे बढ़ा: यदि इसकी शुरुआत अचानक/क्रमिक है। यह कितने समय से है ।
• पेट दर्द फैला हुआ या स्थानीयकृत है
• पेट में दर्द कहां है: ऊपरी हिस्से में, छाती की पसली के ठीक नीचे, बीच में या किनारों पर, नाभी के पास या पेट के दाहिने निचले हिस्से में आदि।
• क्या दर्द नाभी के आसपास से, पेट के दाईं ओर चला गया है।
• दर्द की गंभीरता क्या है: जैसे हल्का, मध्यम, गंभीर या असहनीय आदि।
• क्या दर्द से जुड़े कोई अन्य लक्षण जैसे मतली, उल्टी, बुखार, मूत्र में जलन आदि हैं।
• अन्य चिकित्सा स्थितियां: पहले इसी तरह का दर्द, कोई निदान जो पहले किया गया हो, अतीत में की गई कोई भी सर्जरी।
• दवा, शराब या मादक दवाओं का सेवन।
शारीरिक परिक्षण: डॉक्टर दर्द की गंभीरता, पेट की मांसपेशियों की जकड़न में कुछ बदलावों का निरीक्षण करने के लिए पेट को देखेंगे और छूएंगे। डॉक्टर संदेह के आधार पर सोआस साइन, ऑब्टूर साइन, डिजिटल गुदा परिक्षण या पेल्विक परिक्षण जैसे कुछ अन्य परीक्षण कर सकते हैं।
डॉक्टर प्रारंभिक निदान में सहायता और अन्य स्थितियों को नकारने के लिए कुछ और प्रयोगशाला परीक्षण कर सकते हैं।
खून की जाँच: इसमें, सीबीसी (कंपलीट ब्लड काउंट), डीएलसी (डिफरेन्सियल ल्यूकोसाइट काउंट), सीआरपी आदि शामिल हैं। ये संक्रमण के का कारण की पहचान करने के लिए किए जाते हैं। यह शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का भी संकेत दे सकते है।
पेशाब की जाँच: इसमें यूरीन रूटीन या यूरीन कल्चर शामिल हो सकते हैं। यह यूटीआई (मूत्र पथ संक्रमण) या गुर्दे की पथरी की समस्या को नकारने के लिए किया जाता है।
गर्भावस्था परिक्षण: यह महिलाओं में किया जाता है, खासकर यदि महिला को महावारी की देरी या उसके नहीं होने का इतिहास है।
अल्ट्रासाउंड: यह परिक्षण, आमतौर पर एपेन्डिसाइटिस की पुष्टि करने वाला पहला इमेजिंग परीक्षण होता है। यह उन समस्याओं की पहचान करने के लिए भी किया जाता है, जिनके लक्षण एपेन्डिसाइटिस की तरह दिखते हैं, जैसे किडनी की पथरी /मूत्रमार्ग की पथरी, और महिलाओं की स्थिति जैसे अंडाशय के पुटी में रक्तस्राव आदि।
इससे एपेन्डिसाइटिस की जटिलताओं का भी पता लगाया जा सकता है।
कुछ मामलों में अल्ट्रासाउंड पर एपेन्डिसाइटिस के निदान की पुष्टि नहीं हो पाती है। अल्ट्रासाउंड पर एपेन्डिसाइटिस का पता लगाना दो चीजों पर निर्भर करता है:
• एपेन्डिक्स की स्थिति, जो एक से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है
• शरीर की चर्बी की मात्रा और पेट की गैस, जो अल्ट्रासाउंड पर एपेन्डिसाइटिस को देखने में बाधा उत्पन्न कर सकती है
सीटी स्कैन: यह परिक्षण, शरीर के अंदरुनी अंगों की छवियों को बनानाे के लिए एक्स-रे का उपयोग करता है। सीटी स्कैन में एपेन्डिसाइटिस और उसकी जटिलताओं का पता लगाने की दर बहुत अधिक होती है। एपेन्डिसाइटिस की तरह लक्षण पैदा करने वाली दूसरी स्थितियों को नकारने के लिए यह काफी अच्छा परिक्षण होता है।
सावधानी: इस परिक्षण को करने से पहले, महिलाओं को अपनी गर्भावस्था की स्थिति के बारे में पता होना चाहिए, क्योंकि सीटी स्कैन से निकलने वाली एक्स-रे गर्भ में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह उन महिलाओं के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जिनकी महावारी में देरी हुयी है या वह छुट गये हैं। सीटी स्कैन कराने से पहले महिलाओं को गर्भावस्था परिक्षण कराना चाहिए।
एमआरआई: यह परिक्षण तब किया जाता है, जब सीटी स्कैन निम्न कारणों से नहीं किया जा सकता हैः
• गर्भवती महिलाओं में भ्रूण के लिए एक्स-रे का हानिकारक प्रभाव।
• जब सीटी में उपयोग किए जाने वाले कोन्ट्रास्ट के खिलाफ मतभेद होता है।
एमआरआई को सुरक्षित और विश्वसनीय माना जाता है, लेकिन यह काफी महंगा, समय लेने वाला होता है, और छोटे केंद्रों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।
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