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मुँहासे, जिन्हे आमतौर पर पिम्पल्स के नाम से जाना जाता है, हेयर यूनिट का एक विकार है, जो आपके चेहरे पर विकसित होते हैं। ये हेयर यूनिट्स, हथेलियों, तलवे और होठों को छोड़कर शरीर पर हर जगह पाये जाते हैं। प्रत्येक हेयर यूनिट, बाल के कूप (हेयर फोलिकल), बालों के कतरे (हेयर स्ट्रैन्ड), तेल की ग्रन्थि (ऑयल ग्लैन्ड), और छोटी माँशपेशियों से बने होते है।
जब ये हेयर यूनिट मैले और संक्रमित हो जाते है, तो ये छोटे-छोटे दानों का रूप धारण कर लेते है, जो छुने में दर्द भरे तथा पीले और लाल रंग के होते हैं।
मुँहासे आमतौर पर किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करते है। लगभग 90 प्रतिशत लोगों को उनकी किशोरावस्था के दौरान मुँहासे विकसित होते है, जिनका कॉस्मेटिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकता है। लगभग 12-14 प्रतिशत मामलों में ये पिम्पल्स वयस्क होने तक भी देखे जा सकते हैं, जिनका युवाओं पर सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है।
मुँहासों के खत्म हो जाने के बाद भी, लोगों में अक्सर मुँहासों के निशान पड़ जाते हैं। इन निशान की वजह से व्यक्ति में कम आत्मसंमान, सामाज से दूरी, चिंता, अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याये पैदा हो सकती हैं।
व्यक्ति मे मुँहासे विभिन्न प्रकार के हो सकते है, जैसे कॉमेडोन, पापुल्स, फुंसी, गाँठ और अल्सर के रूप में। ये सँख्या, गंभीरता और फैलाव में अलग हो सकते हैं। मुहाँसो के कारण, और ये कैसे बनते है, इसका वर्णन नीचे दिया गया है।
1. त्वचा में अतिरिक्त सीबम (तेल): त्वचा में तेल उत्पादन करने वाली ग्रंथियाँ, यौवन के बाद हार्मोन द्वारा अधिक तेल उत्पादन के लिए उत्तेजित हो जाती है।
2. भरा हुआ छिद्र (पिलोसेबैकियस यूनिट): अत्यधिक तेल, मृत कोशिकाओं और बैक्टीरिया के साथ मिलकर, हेयर यूनिट के मुँहाने पर प्लग बनाते हैं, जो सतह पर काले रंग के रूप में दिखाई देते हैं। इन्हे ब्लैकहेड (ओपन कॉमेडोन) के रूप में जाना जाता है। यदि प्लग त्वचा की सतह से नीचे रहता है, तो यह रंग में सफेद या पीला सफेद दिखाई देता है। इन्हे व्हाइटहेड्स (क्लोज्ड कॉमेडोन) के रूप में जाना जाता है।
3. बैक्टीरिया (P.acnes): प्रोपिओनिबैक्टीरियम एक्नेस (पी.एक्नेस) नामक बैक्टीरिया, हेयर यूनिट में संक्रमण पैदा करता है, जिस कारण सूजन उत्पन्न होती है, जो मुंहासों में दर्द पैदा करती है। यह बैक्टीरिया आपके हेयर यूनिट में रूकावट पैदा करता है, जिससे कॉमेडोन बनता है, जो मुँहासे बनने की शुरूआत करता है।
4. सूजन: जैसे-जैसे सूजन बढ़ती है, बड़े ठोस छाले बनते जाते है, इससे मवाद से भरे दाने (पस्टयुल) या तरल पदार्थ से भरी फुन्सियों का निर्माण होता है।
मुँहासे को गंभीरता और बनावट के आधार पर 4 वर्गों में विभाजित किया जाता है, जो आवश्यक उपचार तय करने में मदद करता है। ये इस प्रकार हैं:
ग्रेड I | ग्रेड II | ग्रेड III | ग्रेड IV |
---|---|---|---|
हल्के मुँहासे। छोटे, बिना सूजन वाले ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स। ज्यादातर नाक और माथे पर पाये जाते है। | गालों, ठोड़ी और जबड़े पर ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स की अधिक संख्या। लालिमा और/या छोटे पुस्टल के देखे जा सकते हैं। | गंभीर मुँहासे। बिगड़ती लालिमा, और त्वचा की भागीदारी। पापुलों और पुस्टुल की संख्या में वृद्धि। आसानी से देखा जा सकता है और कवर करने में मुश्किल हो सकती है। इसमें जख्म बन जाते हैं, जोकि एक चिंता का विषय है। | सबसे गंभीर। अब “सिस्टिक मुँहासे” के रूप में जाना जाता है – एक दर्दनाक स्थिति जिसमें पुस्टल, पैपुल्स और बड़े अल्सर शामिल हैं। अक्सर चेहरे से शरीर के अन्य क्षेत्रों जैसे पीठ में फैलते है। जख्म लगभग अदृश्य होते है । |
• हार्मोनल असंतुलन: कभी-कभी महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) में कई सारे अल्सर हो जाते है, जिन्हे पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम कहा जाता है, जो मुँहासे होने का कारण बन सकते हैं। इससे महिलाओं में अनियमित महावारी, वजन का बढ़ना, बाल झड़ना और चेहरे पर बाल जैसी अन्य समस्यायें हो सकती है। एैसे मामलों में खून की जाँच की सिफारिश की जाती है, जोकि आमतौर पर आपके मासिक धर्म चक्र के दूसरे और तीसरे दिन किया जाना चाहिए।
• बढ़ी हुई संवेदनशीलता: मुँहासों मे व्रद्धि आमतौर पर मासिक धर्म से ठीक पहले देखी जाती है। हालांकि इसका जिम्मेदार हार्मोनल कारकों को माना जाता है, लेकिन यह परिधीय बढ़ी हुयी संवेदनशीलता ही होती, जिसके कारण मुँहासे बनते है।
• आहार: आहार मुँहासों के बढने में एक महत्वपूर्ण कारक माने जाते है। हाँलांकि, मुँहासे किसी विशेष खाद्य पदार्थों के कारण नहीं होते है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ मुँहासे को बदतर बना सकते हैं। दूध इंसुलिन के स्तर को बढ़ाने के लिए जाना जाता है, जिससे मुँहासों की स्थिति बिगड़ सकती है। गाय के दूध में पाये जाने वाला अमीनो एसिड, जिसके कारण आईजीएफ-1 का अतिरिक्त उत्पादन होता है, मुँहासे के बढ़ने में योगदान देते है। इसलिए बादाम का दूध एक बेहतर विकल्प माना जाता है।
• व्हे प्रोटीन: व्हे इंसुलिन का स्तर बढ़ाता है और केसिन आईजीएफ-1 का स्तर बढ़ाता है, जिसके परिणामस्वरूप मुँहासे भड़क जाते हैं। एक बेहतर विकल्प प्लांट आधारित प्रोटीन होता है, जैसे ओरगेन ऑर्गेनिक प्लांट- आधारित प्रोटीन पाउडर।
• शराब: अल्कोहल पेशाब को बढ़ाता है, जो आपकी त्वचा को निर्जलित कर सकता है, जिससे त्वचा का पीएच स्तर गड़बड़ा सकता है। इससे अत्यधिक सीबम बनता है, जो छिद्रों को बंद कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप मुँहासे बनते हैं।
• डैंड्रफ: डैंड्रफ, छिद्रों में रुकावट पैदा कर सकता है, और चेहरे या पीठ पर पिंपल्स का कारण बन सकता है।
• कास्मेटिक या बालों को रंगने वाले उत्पादों में हाल ही में परिवर्तन: मेकअप उत्पादों, बालों को रंगने वाले उत्पादों, त्वचा पर इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में बदलाव से हमें अक्सर नए मुँहासे बनते हुये दिखते हैं। कृपया उत्पादों में किए गए किसी भी हालिया परिवर्तन का मूल्यांकन करें।
• भावनात्मक और शारीरिक तनाव
• निशान
• अवसाद
• चिंता
• आत्मसम्मान की कमी
मुँहासे के निशान मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- एट्रोफिक और हाइपरट्रोफिक। एट्रोफिक निशान अधिक आम हैं, जो लगभग 80-90 प्रतिशत मामलों में देखे जा सकते हैं, जबकि बाकी 10-20 प्रतिशत मामलों में हाइपरट्रोफिक निशान या केलोइड देखे जा सकते हैं।
मुँहासे के निशान का उपचार तब तक पूरा नहीं होता है, जब तक कि मुँहासे के निशान से बचने के लिए पहले से कोई उपाय न किए जाएं। मुँहासे के निशान के उपचार को व्यक्तिगत रूप से किए जाने की आवश्यकता है। मुँहासे के कोई भी दो मरीज एक जैसे नहीं होते हैं, और मुँहासे के कोई दो निशान भी एक जैसे नहीं होते हैं। मुँहासे के निशान के प्रबंधन के लिए कई चिकित्सीय तौर-तरीके उपलब्ध हैं।
क) आइस पिक निशान
ख) बाॅक्सकार निशान
ग) रोलिंग निशान
मुँहासे का इलाज तीन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है, जैसे सामयिक चिकित्सा, प्रणालीगत चिकित्सा और घरेलू उपचार।
1. रेटिनोइक एसिड, एडापलीन और ट्रेटिनोइन जैसे सामयिक रेटिनोइड का उपयोग अकेले, या अन्य सामयिक एंटीबायोटिक दवाओं या बेंजोइल पेरोक्साइड के साथ किया जाता है।
2. क्लिन्डामईसिन 1% से 2%, नाडिफ्लोक्सासिन 1%, और एजिथ्रोमाइसिन 1% जैल (gel) और लोशन जैसे, सामयिक एंटीबायोटिक्स उपलब्ध हैं। एस्ट्रोजन, ग्रेड 2 से ग्रेड 4 मुँहासे के लिए प्रयोग किया जाता है।
3. सामयिक बेंजोइल पेरोक्साइड अब एडापैलेन के संयोजन में उपलब्ध है, जो कॉमेडोलिटिक के साथ-साथ, एंटीबायोटिक तैयारी के रूप में कार्य करता है। इसका उपयोग जैल (gel) में 2.5% और 5% कोन्सेनट्रेशन के रूप में किया जाता है।
4. एज़ेलिक एसिड एंटीमाइक्रोबियल है, और कॉमेडोलिटिक 10% या 20% जैल (gel) में उपलब्ध है। इसका उपयोग मुँहासे के पोस्टफ्लेमेटरी पिगमेंटेशन (काले रंग) में भी किया जा सकता है।
5. सालिसिलिक एसिड जैसे बीटा हाइड्रोक्सी एसिड का उपयोग टॉपिकल 2% या रासायनिक पील 10% से 20% तक किया जाता है, ताकि मुँहासे के कारण सीबम उत्पादन, कॉमेडोनल मुँहासे और पिगमेंटेशन को कम किया जा सके।
6. सामयिक डैपसोन का उपयोग कॉमडोनल और पैपुलर मुँहासे दोनों के लिए किया जाता है, हालांकि G6PD की कमी वाले व्यक्तियों में सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिए।
1. डॉक्सीसाइक्लिन, मिनोसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स लिए जा सकते हैं। डॉक्सीसाइक्लिन 100 mg का उपयोग दिन में दो बार, सूजन को नियंत्रित करने वाली एन्टी इंफ्लामेट्री और एंटीबायोटिक दवा के रूप में किया जा सकता है। मिनोसाइक्लिन 50 mg और 100 mg कैप्सूल दिन में एक बार लिया जा सकता है। अध्ययनों में पाया गया है कि, मौखिक एंटीबायोटिक दवाओं के साथ सामयिक बेंजोइल पेरोक्साइड का उपयोग, एंटीबायोटिक प्रतिरोध विकसित करने के जोखिम को कम कर सकता है। डॉक्सीसाइक्लिन पेट में परेशानी पैदा कर सकता है, इसलिए प्रोबायोटिक को इसके साथ लिया जाना चाहिए।
2. इसोट्रेटिनोइन का उपयोग दैनिक या साप्ताहिक पल्स रेजीडेंड में 0.5 mg/kg से 1 mg/kg बाॅडी वेट (body weight) के रूप में किया जाता है। यह सीबम उत्पादन को नियंत्रित करता है, पिलोसेबैशियस एपिडर्मल हाइपरप्रोलिफिरेशन को नियंत्रित करता है, और पी एक्नेस को नियंत्रित करके सूजन को कम करता है। आइसोट्रेटिनोइन से जुड़े सामान्य दुष्प्रभाव सूखापन, बालों का झड़ना और सूखे होंठ हैं। इसके संभावित दुष्प्रभावों के कारण, डॉक्टरों को, इसोट्रेटिनोइन का उपयोग करने वाले किसी भी व्यक्ति की बारीकी से निगरानी करनी चाहिये।
3. संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधक जिसमें लो डोज एस्ट्रोजन 20 mcg के साथ साइप्रोटेरोन एसीटेट का उपयोग, गंभीर तथा बार-बार होने वाले मुँहासे के लिए किया जा सकता है।
4. एंटी-एंड्रोनोलेक्टोन (25 mg प्रति दिन) का उपयोग पुरुषों में भी किया जा सकता है, क्योंकि यह एंड्रोजन के उत्पादन को कम करता है और टेस्टोस्टेरोन के कामकाज को रोकता है। इसका उपयोग महिलाओं में सावधानी के साथ किया जाना चाहिए, और गर्भावस्था से बचना चाहिए, क्योंकि दवा भ्रूण के स्त्रीकरण का कारण बन सकती है।
हल्के से मध्यम मुँहासे के लिए कुछ घरेलू उपचार की कोशिश की जा सकती है।
1. टी ट्री ऑयल – यह एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लामेट्री दोनों के रूप में कार्य करता हैं, इस तरह यह मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है।
2. एलोवेरा जेल– मुँहासे के कारण जलन और लालिमा को कम करने में मदद करता है।
3. शहद– त्वचा को ठीक करने के लिए इसका एंटी-बैक्टीरियल और मॉइस्चराइजिंग प्रभाव दोनों होता है।
4. सीबीडी तेल– यह सूजन और सीबम को कम करने में मदद करता है, इस तरह यह मुहाँसे को फैलने से रोकता है।
1. रासायनिक पील
• ग्लाइकोलिक एसिड
• जेसनर शोल्युशन
• पाइरुविक एसिड
• सालिसाईलिक एसिड
• ट्राइक्लोरोएसेटिक एसिड
• टीसीए क्रॉस
2. डर्माब्रेशन
3. माइक्रोडर्माब्रेशन
4. लेजर
5. पुच (Puch) तकनीक
6. सर्जिकल तकनीक
7. ऊतक बढ़ाने वाले एजेंट
8. सुई चुभाना
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